Mahashivratri 2023 : 16 फरवरी से शुरु हो जाएगी महादेव के विवाह की रस्में, स्पर्श दर्शन पर रहेगा रोक

वाराणसी। महाशिवरात्रि से पहले ही काशी में उत्सव शुरू हो गया है। महादेव के विवाहोत्सव की शुरुआत दो दिन पहले 16 फरवरी से शुरु हो जाएगी। भक्तों के दर्शन-पूजन व…

Update: 2023-02-15 05:13 GMT

वाराणसी। महाशिवरात्रि से पहले ही काशी में उत्सव शुरू हो गया है। महादेव के विवाहोत्सव की शुरुआत दो दिन पहले 16 फरवरी से शुरु हो जाएगी। भक्तों के दर्शन-पूजन व बाबा के विवाह की रस्मों को लेकर मंदिर प्रबंधन की ओर से विशेष तैयारी की जा रही है। वहीं भक्तों की जबरदस्त भीड़ के दृष्टिगत स्पर्श दर्शन पर रोक रहेगी।

16 फरवरी को लगेगी बाबा भोलेनाथ को हल्दी

16 फरवरी को बाबा भोलेनाथ को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में हल्दी चढ़ाने के साथ ही विवाह की रस्मों की शुरुआत की जाएगी। सुबह मंगला आरती के साथ ही चार प्रहर की आरतियां और पूजा पाठ के साथ रात 11:00 बजे से बाबा के विवाह दर्शन की शुरुआत होगी। पंच ऋषि यानी पांच पंडित इसे पूर्ण कराएंगे। इसके अलावा एक सुंदर वर की तैयार करने का काम करेंगी। बाबा का रूप निखर कर सामने आए इसलिए हल्दी केसर का उबटन उन्हें लगाया जाएगा।

17 फरवरी को महिलाएं गाएंगी मंगल गीत, 18 को विवाह

इसके बाद 17 फरवरी को महिलाएं मंगल गीत गाएंगी जिसके लिए लेडीज संगीत का आयोजन किया जाएगा। जबकि, 18 फरवरी को बाबा भोलेनाथ के विवाह की रस्मों की शुरूआत सुबह पूजा पाठ के साथ होगी।आरती और रुद्राभिषेक के अलावा भोलेनाथ के रूप को भव्यता के साथ सजाया जाएगा। चल रजत प्रतिमा को उस दिन खादी के वस्त्र बनाए जाएंगे। यह वस्त्र अभी तैयार होने के लिए गए हुए हैं। इसके अतिरिक्त भोलेनाथ को विशेष पगड़ी और फिर सेहरा पहना कर फूल और मालाओं से सजाया जाएगा।

बता दें कि, काशी में शिव के दो रूप विद्यमान हैं, एक चल प्रतिमा और एक अचल प्रतिमा। चल प्रतिमा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के घर में सैकड़ों साल से रजत प्रतिमा के रूप में मौजूद हैं। यहीं से बाबा और माता के विवाह की रस्म पूरे धूमधाम के साथ शुरू होती है। विश्वनाथ मंदिर में मौजूद द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल भोलेनाथ की अचल छवि भक्तों को एक अलग ही रूप में महाशिवरात्रि पर दर्शन देकर उनके कष्ट को हर लेती है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की लंबी कतार को दृष्टिगत रखते हुए कॉरिडोर के अंदर ही भक्तों को कतारबद्ध होकर रखने की तैयारी की गई है।

शिवरात्रि के एक दिन पहले मध्य रात्रि से ही भक्तों की जबरदस्त भीड़ काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के लिए लंबी-लंबी कतारें लगाकर भोलेनाथ की एक झलक पाने का इंतजार करती है। वहीं पूरे दिन काशी के छोटे बड़े हर शिवालय में पूजन पाठ का क्रम जारी रहता है। वाराणसी में पूरा दिन भोलेनाथ की अलग-अलग बारात निकलती है और शाम को मध्यमेश्वर स्थित शिव मंदिर से मुख्य बारात निकलकर श्री विश्वनाथ मंदिर पहुंचती है। इसके हुड़दंग में भूत, प्रेत, पिशाच, संघ काशी के लोग और बड़ी संख्या में पर्यटक भी हिस्सेदारी करते हैं।

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