परत दर परत ऐसे खुली तीन राज्यों में फैले बच्चा चोर गिरोह की दिल दहला देने वाली कहानी

Update: 2023-05-24 05:17 GMT

वाराणसी। गरीब माता- पिता के बच्चों को उनसे चुराकर निसंतान दंपतियो की सुनी गोद भरने के लिए बच्चों की खरीद फरोख्त का खेल काफी लम्बे समय से चल रहा था। ये बच्चे ऐसे गरीब परिवार से उठाए जाते थे जो कि कमजोर अशिक्षित और असहाय होते थे। गरीबी में सड़क किनारे सोने वाले इन झुग्गी झोपड़ी के परिवार से गायब होते इन बच्चों को पुलिस ने बच्चों का अपहरण करके बेचने वाले अंतरराज्यीय गिरोह को पकड़कर इनका पर्दाफाश किया है। ये घटना अपने आप में बड़ी ही अमानवीय व संवेदनशील है। चोरी किए जा रहे इन बच्चों को लाखों में निसंतान दंपतियों को बेचा जाता था। पुलिस ने गिरोह के दस सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, बच्चों के अपहरण कर उन्हें बेचने वाले गिरोह के तार बिहार, राजस्थान व झारखंड से जुड़े हैं। ये लोग बच्चों को नि:संतान दंपतियों के हाथों बेचते थे। इसके बदले में दो से दस लाख रुपये तक वसूले जाते थे।

गौरतलब है कि भेलूपुर थाना क्षेत्र के रवींद्रपुरी स्थित रामचंद्र शुक्ल चौराहे पर सड़क किनारे सो रहे संजय कुमार व उनकी पत्नी मानवी के बीच से 14 मई की रात चार वर्ष के बच्चे का अपहरण कर लिया गया था। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सीसीटीवी फुटेज की जांच से पता चला कि कार से आए लोगों ने बच्चा उठाया है। अपहरणकर्ताओं की पहचान भी की गई, फिर पुलिस की टीमें गठित करके अलग-अलग राज्यों में भेजी गईं।

ये गिरोह ऐसे लोगों को अपना शिकार बनाता था जो लोग अशिक्षित और गरीब होते थे, ऐसे लोग अपनी शिकायत को लेकर पुलिस के पास नहीं आते थे। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने इस मामले में तहकीकात तब शुरू की, जब नदेसर और कैंट क्षेत्र से इसी तरह सड़क पर सोने वाले गरीब परिवार का बच्चा गायब हुआ। पुलिस के लिए ये बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था कि आखिर गरीब परिवार के बच्चो को इस तरह से कौन उठा रहा है, इनसे तो फिरौती की कोई संभावना भी नहीं है। ये गरीब परिवार के लोग भी डरे सहमे से रहते थे और पुलिस के पास आकर इस तरह की घटना की कोई जानकारी भी नही देते थे। लेकिन डीसीपी काशी और एडिशनल पुलिस संतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में सर्विलांस की टीम गठित कर के इसके परीक्षण और सुपरविजन के लिए लगाया, जिसके परिणामस्वरूप ये बहुत शातिर गैंग पकड़ा गया है। इनके कब्जे से तीन बच्चे बरामद हुए हैं।


अपराधियों को पुलिस कस्टडी में लेकर के पूछताछ जारी है। अब तक इन्होंने जो बताया, उसके अनुसार 7 बच्चो का अपहरण इनके द्वारा किया गया है। जिसमे प्रयागराज से दो, मीरजापुर से दो और तीन वाराणसी जनपद से थे। गिरफ्तार अपराधियों में संतोष, यशोदा, विनय मिश्रा शिवदासपुर मंडुवाडीह का है। जो बच्चो को गाड़ी में उठाने का काम करता था, गिरफ्तार किया जा चुका है। शिखा मोदनवाल जो कि संतोष की रिश्तेदार है, यही मेन सूत्रधार है। बच्चा किसको बेचना है कितना पैसा लेना है ये सारा कुछ यही तय करती थी। इसे भी गिरफ्तार किया जा चुका है। झारखंड से महेश और सुनीता राणा खरीदार गिरफ्तार हुए हैं। बिहार से मनीष राणा और राजस्थान से मनीष जैन गिरफ्तार हुआ है।

बच्चों का अपहरण कर बेचने वाले गिरोह का सदस्य पुलिस के हत्थे चढ़ गया। शहर में बच्चा चोर गिरोह सक्रिय है। गिरोह गरीब परिवार के बच्चों का अपहरण कर बेचता है। जितना सुंदर बच्चा, उतना अधिक पैसा मिलता है। अब तक शहर में 50 से अधिक बच्चों को चोरी कर बेच चुके हैं। पुलिस की गिरफ्त में आए संतोष ने बताया कि सड़क किनारे झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवारों को निशाना बनाते हैं। रात में परिवार के सोने के बाद बच्चों का अपहरण कर ले जाते हैं। इसके लिए पहले रेकी करते हैं। रेकी के दौरान ही सुंदर बच्चों को चिह्नित कर लेते हैं। जितना सुंदर बच्चे होते हैं, उतनी अधिक कीमत मिलती है। संतोष ने पुलिस को बताया कि दो साल तक आयु के बच्चों की डिमांड अधिक रहती है। निसंतान दंपती को बिहार, झारखंड और राजस्थान के दलाल खोजते रहते हैं। सर्वाधिक मांग दो साल तक के बच्चों को रहती है। बच्चों की सुंदरता के अनुसार पैसे मिलते हैं।

इस उत्कृष्ट कार्य के लिए पुलिस आयुक्त ने पुरी टीम को एक लाख रुपए इनाम के तौर पर घोषित किया है। ये अपराधी गैंग झारखंड और राजस्थान में बच्चो को बेचते थे। ये डेढ़ लाख से लेकर 5 लाख तक में बच्चों को बेचते थे। अमूमन खरीदने वाले वे लोग होते थे, जिनकी कोई संतान नहीं होती थी, वे इसे पालने के लिए खरीदते थे। अन्य बच्चों की रिकवरी के लिए पुलिस का आला अधिकारी लगातार अन्य राज्यों में दबिश दे रहे हैं। सर्विलांस/काइम ब्रांच, थाना लंका, कैण्ट, व भेलूपुर की संयुक्त टीम द्वारा हाल के दिनों में हुई बच्चा चोरी की घटना से सम्बन्धित अब तक कुल 10 अभियुक्तों को विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार किया गया व कब्जे से 03 नाबालिग बच्चों को बरामद किया गया। इस पुरी टीम में थाना लंका, कैण्ट, भेलूपुर पुलिस टीम मुख्य रूप से शामिल रही हैं।

राजस्थान से लेकर गुजरात तक ताबड़तोड़ दबिश

तीन बच्चों को बरामद कर गिरोह के 10 सदस्यों को पकड़ने में सर्विलांस प्रभारी अंजनी कुमार पांडेय और दुर्गाकुंड चौकी प्रभारी आनंद चौरसिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) संतोष कुमार सिंह ने बताया कि रामचंद्र शुक्ल चौराहा से बच्चा अगवा होने की जानकारी मिलते ही दुर्गाकुंड चौकी प्रभारी आनंद चौरसिया ने सीसी कैमरों की मदद से कार की तलाश शुरू कर दी थी। कार को चिह्नित कर उन्होंने सबसे पहले विनय को चिह्नित किया। इसके साथ ही संतोष गुप्ता के बारे में भी जानकारी जुटाई। संतोष गुप्ता पकड़ा गया तो पूछताछ में उससे मिली जानकारी के आधार पर इंस्पेक्टर अंजनी कुमार पांडेय ने सर्विलांस की मदद से काम करना शुरू किया। इंस्पेक्टर अंजनी द्वारा उपलब्ध कराए गए इनपुट के आधार पर दुर्गाकुंड चौकी प्रभारी राजस्थान से लेकर गुजरात तक ताबड़तोड़ दबिश दिए और 10 आरोपी पकड़े गए।

लड़का गोरा हो, और खुबसूरत हो...

पुलिस की पूछताछ में शिखा ने बताया कि जो निःसंतान दंपती बच्चा लेते हैं, उनकी कुछ शर्तें होती हैं। शर्त की प्रमुख बातें यह हैं कि लड़का हो, गोरा व खूबसूरत हो और उम्र अधिकतम चार साल तक हो। इन शर्तों को पूरा करने पर बच्चे की मुंह मांगी कीमत मिलती है। बच्चा सांवला हो या फिर लड़की हो तो उसकी कम कीमत मिलती है। शिखा ने बताया कि संतोष सहित उसके गिरोह के अन्य सदस्यों ने हाल ही में लहरतारा क्षेत्र से एक सांवली बच्ची का अपहरण किया था। उसे बेचने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं बनी तो बच्ची को उसकी झोपड़ी के पास पुनः ले जाकर छोड़ दिया गया।

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