हिमाचल में आई आपदा के लिए एनएचएआई और बांध प्रबन्धक जिम्मेवार, एफआईआर करे सरकार : हिमाचल नीति अभियान

Update: 2023-09-29 13:17 GMT








शिमला, 29 सितम्बर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में आई आपदा से भारी तबाही हुई है। बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं में 481 लोगों की मौत हुई है। हिमालय नीति अभियान मंच ने इस आपदा के लिए विकास के मॉडल को जिम्मेवार ठहराया है। मंच का कहना है कि सरकारों की नीतियों और लोगों की भूमिका को जानकर तथाकथित विकास के मॉडल में बदलाव की जरूरत है।

हिमालय नीति अभियान के समन्वयक गुमान सिंह ने शुक्रवार को शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि हिमाचल में विकास का जो मॉडल अपनाया जा रहा है, इसे समय रहते बदला न गया तो यह विनाश का कारण बनेगा। उन्होंने कहा कि यह नुकसान बारिश से नहीं हुआ बल्कि जो अवैध डंपिग नदी नालों की गई है उससे ज्यादा नुकसान हुआ।

उन्होंने कहा कि एनएचएआई ने नेशनल हाइवे का निर्माण गलत तरीके से किया है, पहाड़ों की गलत कटिंग हुई है। इस लापरवाही से सैंकड़ों लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में राज्य सरकार को एनएचएआई पर एफआईआर दर्ज करवानी चाहिए। साथ ही पौंग और पार्वती बांधों से जिस तरह से पानी छोड़ा गया उससे बहुत नुकसान हुआ तथा इनके प्रबंधकों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में हिमालयन नीति अभियान मंच के पदाधिकारी राज्यपाल से मिले हैं और इस तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई है। वे मुख्यमंत्री से मिलकर 55 सूत्रीय सुझाव पत्र देंगे। ऐसे में भाजपा कांग्रेस को राजनीति का खेल न खेलकर प्रदेश को पटरी पर लाने के लिए काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मानसूनी आपदा में जिन लोगों के घर चले गए हैं उनको फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट में बदलाव कर सरकारी भूमि दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह आपदा प्राकृतिक नही बल्कि मानव जनित है। प्रदेश में जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार काम होना चाहिए इसमें लोगों की राय ली जानी चाहिए हिमाचल में एक समान विकास मॉडल नहीं अपनाया जा सकता है।

मंच के अध्यक्ष कुलभूषण उपमन्यु ने कहा कि मानवीय गलतियों से सीखने की जरूरत है। हिमालय क्या काम होना चाहिए और क्या नहीं इसके लिए शोध की जरूरत है। पहाड़ों में फोरलेन की जरूरत है या डबल लेन ही काफी है इस पर विचार की जरूरत है। हिमालय में विकास का मॉडल क्या हो इसके लिए काम होना चाहिए। उन्होंने शिमला डेवलपमेंट प्लान-2041 को वापिस लेने की भी मांग की है। उन्होंने जोर दिया कि धंसते शिमला के वजूद को बचाने के लिए इस प्लान को वापिस लेना जरूरी है।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील

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