Paralympian Sumedha Pathak : 16 साल की उम्र में मार गया था लकवा, अब पैरा गेम्स में वाराणसी की बेटी ने जीता सिल्वर मेडल

Update: 2023-12-14 11:00 GMT

वो कहते है ना लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों कि हार नहीं होती। अगर कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो फिर बड़ी - बड़ी मुश्किल भी इंसान को नहीं डिगा सकती है। वाराणसी की बेटी ने भी अपने हिम्मत और मजबूत हौसले के दम पर काशी ही नहीं बल्कि पूरे यूपी का नाम रौशन किया है।

वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित मानस नगर कॉलोनी निवा सुमेधा पाठक ने दिल्ली में चल रहे प्रथम खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2023 में 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतिस्पर्धा में सिल्वर मेडल पर निशाना साधकर काशी का नाम गौरवान्वित किया है। सुमेधा का यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। दिव्यांग होने के बावजूद उसने अपनी मेहनत और और अडिग हौसले के दम पर ये मुकाम हासिल किया है।



16 साल की उम्र में लगा था लकवा

सुमेधा के पिता ब्रजेश पाठक ने बताया कि बेटी को 2013 में 16 साल की उम्र में लकवा मार गया था। टीबी के कारण सुमेधा इस बीमारी का शिकार हुई और उसके सीने के नीचे के अंगों ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया,जिससे, चलना फिरना तो दूर, शौच करना भी मुश्किल हो गया,लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।

जन्मदिन पर जीता सिल्वर मेडल

ब्रजेश पाठक ने बताया कि सुमेधा ने 2018 में प्री स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता 2019 में स्टेट लेवल में गोल्ड मेडल जीता, 2022 में नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर वर्ल्ड कप के लिए रास्ता तैयार किया और पैरा निशानेबाजी विश्व कप के टीम इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर जर्मनी के म्यूनिख में भी अपना जलवा दिखाया। इन सब के बीच पहली बार इंडिया में हो रहे खेलो इंडिया के तहत पहले गेम्स में आज सुमेधा ने अपने जन्मदिन के दिन ही सिल्वर मेडल जीता है।



आज दिया जाएगा मेडल

ब्रजेश पाठक ने बताया कि गुरुवार को मेडल गिविंग सेरिमनी में उनका मेडल दिया जाएगा। यह बहुत गौरव का पल है। एक पिता के लिए इससे बड़ा दिन नहीं हो सकता, जब उसकी बेटी उनके पूरे परिवार का नाम रोशन कर रही हो।

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