चैत्र नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि के दर्शन-पूजन का है विधान, दर्शन मात्र से नहीं होती अकाल मृत्यु

Update: 2024-04-15 05:19 GMT


वाराणसी। चैत्र नवरात्र में गौरी पूजन का भी विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्र के सातवें दिन गौर के भवानी गौरी के दर्शन पूजन करने का विधान माना जाता है। विश्वनाथ गली के श्रीराम मंदिर के अंदर स्थित है। वहीं शक्ति के उपासक इस दिन मां कालरात्रि का दर्शन करते हैं। मां कालरात्रि का प्राचीन मंदिर कालिका गली में है। दोनों ही मंदिरों में भोर से ही भक्त माता के दर्शन कर निहाल हो रहे हैं। चारों तरफ माता के जयकारे लग रहे हैं। जय मां भवानी और जय मां कालरात्रि के साथ जय माता दी के उद्घोष से पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा। भोर से शुरू हुए दर्शन पूजन का सिलसिला रात तक अनवरत चलेगा।



कालिका गली में स्थित मंदिर में मंगला आरती के पहले माता कालरात्रि का पारम्परिक शृंगार किया गया और उसके बाद मंगला आरती की गयी। इस दौरान भक्तों की लम्बी लाइन माता के दर्शन को आतुर कतारबद्ध थी। माता के पट खुलते ही पूरा इलाका माता के जयकारे से गुंजायमान हो गया। जब मां के शृंगार के बाद दोनों मंदिरों के पट दर्शन-पूजन के लिए खुले तो नारियल, चुनरी, फूल और फल लेकर खड़े श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए। भक्त मां की एक झलक पाकर निहाल हो गए।

मां कालरात्रि देवी के दर्शन से नहीं होती अकाल मृत्यु

मां कालरात्रि देवी के दर्शन-पूजन से श्रद्धालु निरोग रहते हैं और उनके घर में सुख-शांति के साथ ही समृद्धि का वास रहता है। इनके दर्शन से किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है। मां कालरात्रि देवी के दर्शन-पूजन से लोग बाधाओं और विपत्तियों से दूर रहते हैं। मां कालरात्रि देवी को सबसे प्रिय पान है। मां कालरात्रि देवी के दर्शन-पूजन से सुहागिनों का सुहाग अटल रहता है और कुंवारी कन्याओं का विवाह होता है। मां हर पीड़ा और संकट को हरती हैं, इसलिए वह संकटहरणी भी कहलाती भी हैं।

Similar News