बकरी पालन कर माजदा बनी स्वाबलंबी, कहलाती है चलता फिरता एटीएम

Update: 2023-05-29 14:42 GMT


मेदिनीनगर, 29 मई (हि.स.)। सतबरवा की माजदा खातून स्वावलंबी बनने की राह पर है। उसे चलता -फिरता एटीएम भी कहा जाता है। कम पूंजी और ज्यादा मुनाफा बकरी पालन से माजदा कर रही है। फिलहाल सतबरवा की 60 वर्षीय माजदा खातून के पास 18 बकरियों की पूंजी और बैलेंस भी है। वह बताती है कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वह बकरी रुपी एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करती हैं। माजदा एक प्रगतिशील महिला बकरी पालक हैं। वर्ष 2017 में लकी आजीविका स्वयं सहायता समूह की सदस्य माजदा खातून पिछले कई वर्षों से बकरी पालन के क्षेत्र में काम कर रही हैं। पूंजी की कमी की वजह से वह ज्यादा बकरियां रखने में सक्षम नहीं है।

35 हजार का लोन लेकर शुरू की धंधा

माजदा अपने समूह से 35000 का ऋण लेकर अच्छी नस्ल की बकरियां खरीदी। आज उनके पास 18 बकरियां हैं। माजदा बताती हैं कि मेरे पति पहले फेरी का काम करते थे। आज बकरी पालन करके काफी खुश हैं। एक बकरा की बिक्री कीमत लगभग पांच से सात हजार तक होती है। उसने बताया कि पूरा समय बकरियों की देखरेख में लगी रहती हूं। सुबह शाम बकरियों को चराने ले जाती हूं। दोपहर में उन लोगों के लिए हरा घास का भी प्रबंध करती हैं तथा बकरियों के प्रजनन से लेकर उनकी बीमारियां एवं साफ-सफाई का पूरा ख्याल किया जाता हैं।

उसके सात बच्चे हैं, जिनमें से पांच बेटियां तथा दो पुत्र। छोटी बेटी को छोड़कर सभी के शादी हो चुकी है। इन्हीं बकरियों की मदद से जीवन यापन का सारा इंतजाम कर पाती हूं। बकरियों की वजह से उन्हें कभी दूसरों के समक्ष हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। वह अपनी जरूरतों को पूरा कर पाने में सक्षम है।

जेएसएलपीएस से जुड़ी सखी संवाददाता और समूह की संचालनकर्ता प्रीति गुप्ता ने सोमवार को बताया कि सतबरवा प्रखंड में समूह से जुड़कर कई महिलाएं अपने भविष्य को संवार रही है। महिलाएं पुरुषों से ज्यादा अपने काम पर ध्यान देती हैं और आर्थिक स्रोत का जरिया बन रही हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिलीप कुमार

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