वाराणसी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू एवं ट्रॉमा सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में पांच वर्ष बाद हो रहे दूसरे इंडो-इजरायल ट्रामा कोर्स व मास कैजुअलिटी सिचुएशन पर कार्यशाला आयोजित की गई।…

वाराणसी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू एवं ट्रॉमा सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में पांच वर्ष बाद हो रहे दूसरे इंडो-इजरायल ट्रामा कोर्स व मास कैजुअलिटी सिचुएशन पर कार्यशाला आयोजित की गई। संयुक्त कार्यशाला के पहले दिन की शुरुआत इज़राइल के डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा ट्रामा सेंटर बीएचयू के दौरे से हुई। इसके बाद चिकित्सकों और विशेषज्ञों की टीम ने अपने विचार साझा किये।

प्रथम दिवस के आयोजन को तीन सत्रों में बांटा गया था। पहले सत्र में रामबाम एचसीसी के निदेशक और सीईओ प्रोफेसर माइकल (मिकी) हैलबरथल ने उद्घाटन टिप्पणी और त्रिदिवसीय कार्यशाला का विस्तृत परिचय दिया। उन्होंने इस विचार पर ध्यान केंद्रित किया कि किसी को प्रक्रिया और प्रथाओं की नकल नहीं करनी चाहिए, बल्कि इसे उनकी आवश्यकता के अनुसार बनाया जाना चाहिए। उसके बादगिला हायम्स ने प्रतिभागियों को ट्रॉमा सिस्टम्स, इमरजेंसी और एमसीआई (सामूहिक दुर्घटना की घटनाओं) के कई शिक्षण केंद्रों के बारे में बताया, जो अतीत में आयोजित किए गए हैं।

इसके उपरान्त डॉ हनी बाउथ; निदेशक ट्रॉमा एंड इमरजेंसी सर्जरी रामबाम एचसीसी ने एमसीएस और आपातकाल के दौरान अस्पतालों की स्थिति के बीच अंतर की ओर इशारा किया। उन्होंने एमसीआई से निपटने की योजना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, एक है लॉजिस्टिक (तार्किक) और दूसरा है जेनरिक (सामान्य )। उन्होंने दुनिया भर में एमसीएस से संपर्क करने के लिए ज्ञान की कमी की ओर इशारा करते हुए कहा कि रोगियों को अच्छी देखभाल प्रदान करने के लिए जरूरी है कि रसद सुविधाओं का सुचारू प्रवाह हो। उन्होंने एमसीएस से निपटने के लिए तैयारियों पर बल देते हुए अपना व्याख्यान समाप्त किया, और कहा कि अस्पतालों को उनके नुकसानों के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए।

गाइ कैस्पी; हज़-मैट के प्रशिक्षक और निदेशक ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करने के लिए इज़राइल से केस के अध्ययन के सन्दर्भ में फ्रंटल लेसन, प्रैक्टिकल प्रैक्टिस, केस स्टडी, टेबलटॉप एक्सरसाइज, वीडियो सिमुलेशन, सिमुलेटर, ड्रिल और एक्सरसाइज के रूप में श्रृंखला में प्रशिक्षण के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिये पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस विचार पर जोर दिया कि हमें फील्ड एक्सरसाइज पर ध्यान क्यों देना चाहिए।

इसके बाद रैमबैम एचसीसी के नर्सिंग विभाग की निदेशक डा गिला ह्याम्स ने इज़राइल द्वारा व्यवस्थित किये गए संरचनात्मक नियोजन के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि अस्पताल में संरचनात्मक प्रवाह की देखभाल के लिए सरगर्मी समितियाँ होती हैं। उन्होंने इज़राइल में प्रशिक्षण और कार्य प्रक्रिया और नर्स प्रबंधन के पूरे क्रियाकलाप की व्याख्या की।

भोजनावकाश के बाद, तीसरा सत्र पूरी तरह से मास टॉक्सिकोलॉजिकल इंसिडेंट्स ( विष-विद्या सम्बन्धी घटनाओं ) के लिए समर्पित था। कापलान मेडिकल सेंटर रेहोवोट के डॉ लायन पोल्स ने अपना व्याख्यान इतिहास, परिणाम, घटकों, एमटीआई द्वारा पहले उत्तरदाताओं, प्रतिक्रिया योजनाओं और वास्तविक योजना और तैयारियों के इज़राइली मॉडल के सामने आने वाले मुद्दों को पेश करके शुरू किया। उन्होंने कहा कि एमटीआई तीन प्रकार की होती है, प्राकृतिक घटनाएं, दुर्घटना की घटनाएं और आखिरी में आतंक, आपराधिक और युद्धकालीन घटनाएं। उनकी बात इस बात पर केन्द्रित थी कि हैज़मेट इन घटनाओं पर कैसे प्रतिक्रिया करता है।

अंत में कास्पी ने प्रतिभागियों को सीबीआरएन, पूर्व-अस्पताल चुनौतियों और इज़राइल में प्रतिक्रियाओं के बारे में बताया। उन्होंने इन जहरीली घटनाओं के मूल पर ध्यान केंद्रित किया और बताया कि कैसे पता चलेगा कि कुछ हुआ है। कभी-कभी स्थिति सेकेंडों में बिगड़ जाती है और हड़बड़ी पैदा कर देती है। ऐसी स्थिति में गलती यह हो जाती है कि परिशोधन छूट जाता है और लोग नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र की ओर भागते हैं। उन्होंने आज की कार्यशाला का समापन इस बात के साथ किया कि इस तरह की जहरीली घटना होने पर परिशोधन का एक अच्छा उपाय रखना चाहिए।

उद्घाटन समारोह में डॉ वैभव पांडे ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया और समस्त कार्यक्रम का संचालन डा कविता मीणा ने किया। इस आयोजन के संरक्षक और बीएचयू के रेक्टर डॉ. वी के शुक्ला प्रो. के.के. गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक, आई.एम.एस. बीएचयू, ट्रॉमा सेन्टर के आचार्य प्रभारी डॉ. सौरभ सिंह सहित इजराइल से आए प्रतिष्ठित विद्वानों ने दीप प्रज्वलित किया और पं. मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किये। तत्पश्चात विश्वविद्यालय के कुलगीत की प्रस्तुति के उपरान्त सभी गणमान्य व्यक्तियों को शॉल, पुष्प स्तबक एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

प्रो वी के शुक्ला, माननीय रेक्टर बीएचयू ने आज के आयोजन के लिए धन्यवाद ज्ञापन दिया, उन्होंने सभी विद्वानों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में आघात बड़े बदलाव लाता है, बेशक यह नकारात्मक है लेकिन इलाज और तैयारी पहले से की जानी चाहिए। अस्पतालों को अच्छी देखभाल प्रदान करनी चाहिए और जितना हो सके जीवन बचाने की कोशिश करनी चाहिए, हालांकि हमारे पास संसाधनों की कमी है, हमें सर्वश्रेष्ठ टीम बनानी चाहिए और चिकित्सा क्षेत्र में बाधाओं के माध्यम से अपना रास्ता बनाना चाहिए।

पहले दिन का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस कार्यशाला में पुलिस, पीएसी, 39 जीटीसी, एनडीआरएफ, सीआरपीएफ और आरपीएफ के जवानों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम के कुशल क्रियान्वयन में ट्रॉमा सेंटर के उप चिकित्सा अधीक्षक डा यशपाल सिंह की महती भूमिका रही। यह आयोजन 25 और 26 फरवरी को भी जारी रहेगा।

Updated On 25 Feb 2023 12:24 AM GMT
Ankita Yaduvanshi

Ankita Yaduvanshi

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