ALPS International : कान की मशीन के क्षेत्र में रिसर्च करने वाली कंपनी आल्प्स इंटरनेशनल (ALPS International) इंटरफ़ेस मुक्त प्रोग्रामिंग के साथ अपने वायरलेस कान की मशीन - नाइलो की सफलता के आधार पर 2026 तक घरेलू बाजार के लगभग एक चौथाई हिस्सेदारी का लक्ष्य रख रही है। कंपनी ने हाल ही में अपनी कान की मशीन नाइलो बाजार में उतारी है जो उपभोक्ताओं को एक नवीन और बेहतरीन अनुभव देगी।

इस अत्याधुनिक हियरिंग एड - नाइलो में मोबाइल फोन, लैपटॉप, म्यूजिक, स्मार्ट टीवी और कई अन्य मीडिया ऑप्शन से जुड़ने के लिए गतिशील ऑडियो स्ट्रीमिंग सुविधा के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुविधाओं को शामिल किया गया है। इसके अलावा, उपयोगकर्ता को उसके मोबाइल पर एक ऐप दिया जाता है जो उसे अपनी सहूलियत और आसपास के वातावरण को देखते हुए मशीन की कार्यक्षमता में बदलाव कर सकता है।

उपयोगकर्ता अब "कैसे सुनें" में भ्रमित रहने के बजाय "क्या सुनें" पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। कंपनी को पहले सरकार द्वारा तकनीकी नवाचार के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। आने वाले समय में आल्प्स भारतीय हियरिंग एड उपकरणों को विश्व बाजार में उतारने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

कंपनी (ALPS International) की घरेलू (भारतीय) बाजार में हिस्सेदारी लगभग 14 प्रतिशत है। सन 2023 में लगभग 7 लाख कान की मशीनें बेची गयी हैं। मंगलवार को 2 अप्रैल को कंपनी ने बताया कि उन्हें उम्मीद है 2026 तक घरेलू कान की मशीन के बाजार में उसकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत अंक बढ़कर लगभग 25 प्रतिशत हो जाएगी। सन 2026 तक भारत में कान की मशीनों का बाजार लगभग 10 लाख सालाना होने की उम्मीद है।

आल्प्स इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ALPS International India Pvt. Ltd.) के सेल्स और मार्केटिंग निदेशक अनूप नारंग ने बताया कि भारत की यह श्रवण उपकरण तकनीक श्रवण स्वास्थ्य देखभाल में नए मानक स्थापित करती है, जिससे उपयोगकर्ताओं को मशीन को अपनी सुविधानुसार बदलने की सहूलियत मिलती है।

उन्होंने कहा कि कंपनी लंबे समय से श्रवण सहायता अनुसंधान क्षेत्र में काम कर रही है। पिछले 35 साल से आल्प्स हियरिंग एड की नई रेंज में तकनीक, हियरिंग एड की रिमोट प्रोग्रामिंग भी प्रदान करती है, भले ही डिवाइस भौतिक रूप से हजारों मील दूर स्थित हो। जिसका सीधा मतलब यह है कि कान की मशीन हज़ारों मील दूर होने पात्र भी सॉफ्टवेयर की मदद से उसको उपभोक्ता के हिसाब से ठीक किया जा सकता है। ऐसे अधिकांश अन्य उपकरणों को प्रोग्रामिंग के लिए एक इंटरफ़ेस की आवश्यकता होती है।

Ankita Yaduvanshi

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