समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और AIMIM के राज्यसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर हेट स्पीच मामले में सोमवार को सुनवाई हुई, जिसके बाद कोर्ट ने 29 नवम्बर अगली तारीख दी है। यह वाद अधिवक्ता हरीशंकर पांडेय ने दायर किया है जो सिविल कोर्ट से खारिज हुआ था इसके बाद इसकी निगरानी याचिका पर सुनवाई हो रही है। समवार को ओवैसी के अधिवक्ता ने कोर्ट में वकील के माध्यम से जवाबदेही दाखिल की है।

अपर जिला जज (नवम) की अदालत में अखिलेश-ओवैसी पर मुकदमा दर्ज करने के वाद पर सोमवार को सुनवाई हुई जिसके बाद कोर्ट ने इसे अगली तारीख 29 नवम्बर तय की है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर ज्ञानवापी को लेकर हेट स्पीच का मामला वाराणसी कोर्ट में दर्ज है। अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय की अर्जी पर निचली अदालत यह मुकदमा खारिज कर चुकी है जिसपर एक पुनरीक्षण याचिका अपर जिला जज (नवम) की अदालत में डाली गई है।


16 नवंबर को पीठासीन अधिकारी के अवकाश के चलते कोर्ट ने सुनवाई नहीं कि थी उस दिन अखिलेश यादव के एडवोकेट अनुज यादव ने आपत्ति दाखिल की थी। वहीं आज की तारख पर कोर्ट ने 29 नवम्बर की तारीख दे दी वहीं ओवैसी बंधू के अधिवक्ता ने कोर्ट में जवाबदेही दर्ज कराई है।

अखिलेश यादव और ओवैसी के ऊपर हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में अधिवक्ता आरपी शुक्ल,अजय प्रताप सिंह, घनश्याम मिश्र के जरिये प्रार्थनापत्र देकर आरोप लगाया था कि ज्ञानवापी परिसर में नमाजियों की ओर से वजूखाने में हाथ-पैर धोए जाते हैं और गंदगी फैलाई जाती है। जबकि वह स्थान हमारे अराध्य भगवान शिव का स्थान है। यह हिंदू समाज के लिए अपमानजनक है। इसके साथ ही सर्वे में मिले शिवलिंग को लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि ने ज्ञानवापी प्रकरण पर बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं पर कुठाराघात किया है। ऐसे में उनपर FIR होना चाहिए।

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Rishika Kukrety

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