वाराणसी में G-20 सम्मेलन में आने वाले विदेशी डेलिगेट्स काशी की संस्कृति सभ्यता को समझ सके। इसके लिए काशी के प्रमुख लगभग 350 मंदिरों में एक खास प्रकार का क्यूआर कोड लगाया जा रहा है। जिसमें मंदिरों का इतिहास हर भाषा में उपलब्ध होगा। इसके लिए पर्यटन विभाग एक खास प्रकार की तैयारी कर रहा है। इससे काशी के मंदिरों के प्रचार प्रसार में मदद मिलेंगी। देश दुनिया के लोग काशी के मंदिरों के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे।

विदेशी मेहमानों के लिए काशी के प्रमुख लगभग 350 मंदिरों में एक खास प्रकार का क्यूआर कोड लगाया जा रहा है। जिसमें मंदिरों का इतिहास हर भाषा में उपलब्ध होगा। क्यूआर कोड मंदिरों के प्रचार-प्रसार का माध्यम बनेगा। जो पर्यटन विभाग की खास पहल है। इसका फायदा सिर्फ G-20 में आने वाले मेहमानों को ही नहीं बल्कि देश दुनिया से आने वाले पर्यटकों को भी मिलेगा। काशी के गलियों में लगभग 350 प्रमुख मंदिरों का प्रचार-प्रसार भी होगा।

उप निदेशक पर्यटक अधिकारी राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि G-20 का पहला सम्मेलन 17 से 19 मार्च तक आयोजित हो रहा है। काशी आने वाले सभी मेहमानों के सुविधा के लिए काशी के मंदिरों के बाहर एक साइन बोर्ड लगाया गया है। इस बोर्ड में एक खास प्रकार का क्यूआर कोड लगाया गया है। इस क्यूआर कोड से मेहमान मंदिरों के इतिहास को अपने मातृभाषा में जान सकेंगे।

उन्होंने बताया कि लगभग 350 प्रमुख मंदिरों में लगवाया जा रहा है।पर्यटन अधिकारी ने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि वाराणसी आने वाले मेहमान काशी की संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ मंदिरों के इतिहास को सही तरीके से जाने और उन मंदिरों का प्रचार-प्रसार सही माध्यम से हो। इसी उद्देश्य के साथ हम लगातार प्रयास कर रहे हैं, कि पर्यटकों को आसान तरीके से यह जानकारी प्राप्त हो सके। यहां आने वाले पर्यटक अपने मोबाइल से ही इन मंदिरों के इतिहास को अपने भाषा में जान पाएंगे। जिससे मंदिर की भव्यता और दिव्यता का इतिहास देश के कोने कोने तक विकसित होगी। उसका प्रचार प्रसार होगा।

Vipin Singh

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