वाराणसी। डॅाक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, क्योंकि ये लोगों को नया जीवन देते है। ऐसा ही कुछ बीएचयू हॅास्पिटल में हुआ, जब मां-बाप ने भी उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन डॉक्टरों ने डेढ़ साल से वेंटीलेटर पर पड़ी मासूम प्रिया को नया जीवन दिया। आज 10 साल की प्रिया जिंदगी से जंग जीतकर वेंटीलेटर से व्हीलचेयर पर आ गई है और अपने मां-पिता से अब बातें कर रही हैं हंस बोल रही है।

बिहार के रोहतास जिले के सेमारी गांव निवासी प्रिया (10) के पिता मुन्ना कुमार गुप्ता चाय बेचकर जीवनयापन करते हैं। मां साधना हाइस वाइफ हैं। प्रिया जब 10 साल की थी तो अक्टूबर 2021 में उसके सिर पर स्कूल में गमला गिर गया था। इससे उसके सिर में गंभीर चोट आई थी। पांच महीने तक तो परिजन स्थानीय स्तर पर इलाज में लगे रहे लेकिन जब हर जगह से प्रिया के ठीक होने की उम्मीद नहीं मिली तो 28 फरवरी 2022 को मां-पिता से उसे बीएचयू ट्रॉमा सेंटर लेकर आए।

फट गई थीं दिमाग की नसें

बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह के अनुसार प्रिया को सर्वाइकल स्पाइन में गंभीर चोट आई थी, जिससे उसके दिमाग की नसें फट गई थीं। सर्जरी के बाद भी बच्ची कोई एक्टिविटी नहीं कर पा रही थी। पिता की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, इसलिए हमने बिना किसी खर्च के इलाज करने का फैसला लिया। उसके लिए अतिरिक्त बेड मंगाकर आईसीयू में लगाया गया। करीब डेढ़ साल से बच्ची इसी बेड पर रही।

18 महीने तक उसे 24 घंटे वेंटीलेटर पर रही

उन्होंने बताया कि 11 अप्रैल 2022 को प्रिया का ऑपरेशन किया गया। उसके बाद से ही बच्ची को वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया। आठ महीने तक उसे 24 घंटे वेंटीलेटर पर रखा गया। इसके बाद अगस्त 2023 तक 12-12 घंटे वेंटीलेटर सपोर्ट दिया गया। हालत में सुधार होने पर सितंबर 2023 से वेंटीलेटर से हटा दिया गया।

प्रिया के इलाज में न्यूरो सर्जरी के प्रो. कुलवंत सिंह और डॉ. अनुराग साहू के साथ एनीस्थीसिया विभाग की प्रो. कविता मीना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Updated On 19 Sep 2023 11:33 AM GMT
Ankita Yaduvanshi

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