वाराणसी। बात 153 वर्ष पुरानी है। दोषीपुरा में ताजिया उठाने के दौरान हुए विवाद को लेकर वर्ष 1870 के फ़्लैशबैक में जाना होगा। बुनकरों के इलाके दोषीपुरा में पीढ़ी दर पीढ़ी चेहरे बदल गए। हथकरघों की जगह अब नए ज़माने के पॉवरलूम आ गए। केवल इतना ही नहीं, बनारसी साड़ी की डिजाईन और कारीगरी बदली, काम करने के तरीके बदले। सब कुछ बदला लेकिन इन 153 वर्षों में जो नहीं बदला, वह है इन दो समुदायों की लड़ाई। इनकी लड़ाई साल दर साल आगे बढ़ती गई। इन दोनों के विवाद की मुख्य वजह है- दोषीपुरा स्थित नौ प्लाट की जमीन।

शिया समुदाय के लोग पिछले डेढ़ शताब्दी से दावा कर रहे हैं कि दोषीपुरा स्थित नौ प्लाट उन्हें काशी रियासत के महाराजा ने मुहर्रम के दौरान धार्मिक क्रियाकलापों को संपन्न करने के लिए दिया था। वहीं, सुन्नी समुदाय के लोग भी इसे लेकर अपने मालिकाने हक का दावा करते हैं। सुन्नी समुदाय के अनुसार, इस क्षेत्र का एक हिस्सा उनका कब्रिस्तान है। वर्षों से अदालतें आदेश देती रहीं, लेकिन विवाद जस का तस बरकरार है। जिसके नतीजे शनिवार को भी देखने को मिले। जब इसी विवाद में एक बार फिर शिया-सुन्नी आमने-सामने आए और जमकर बवाल हुआ।

जानकारी के मुताबिक, दोषीपुरा में लगभग 24-25 बिस्वा जमीन के नौ प्लाट का विवाद है। पीढ़ी दर पीढ़ी चेहरे बदल गए, लेकिन विवाद नहीं खत्म हुआ। उस जमीन में एक मस्जिद, एक बारादिरी व एक इमामबाड़ा है। शेष हिस्सा खुला मैदान है। 1870 के दशक में जमीन के मालिकाने हक को लेकर शिया-सुन्नी का आपसी विवाद शुरू हुआ। देश के आजाद होने से पहले और उसके बाद अदालतों ने कई बार आदेश दिए। वर्ष 1981 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में शिया समुदाय के अधिकार को बरकरार रखा। वर्ष 1986 में तत्कालीन राज्य सरकार ने शिया-सुन्नी के बीच संघर्ष की आशंका का हवाला दिया। इस पर अदालत ने शांतिपूर्ण तरीके से समाधान का आह्वान करते हुए अपने आदेश को अगले एक दशक तक के लिए स्थगित कर दिया।

वर्ष 1996 में स्थगन आदेश एक बार फिर एक दशक के लिए बढ़ा दिया गया। वर्ष 2014 में एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर शियाओं के हक को वरीयता दी। साथ ही, याचिकाकर्ताओं की मौजूदा शिकायतों को लेकर नया आवेदन करने की स्वतंत्रता भी दी। इतनी लंबी कानूनी लड़ाई के बाद भी अब तक विवाद का समाधान नहीं हो सका। इसी वजह से यह देश में सबसे लंबे समय से जारी जमीन संबंधी कानूनी विवाद भी कहा जाता है।

दीवार के आर-पार की लड़ाई

153 वर्ष पुराने जमीन के इस विवाद में शिया कहते हैं कि सभी नौ प्लाट के चारों ओर एक दीवार बना दी जाए। वहीं, सुन्नी समुदाय के लोगों का कहना है कि शियाओं को मुहर्रम के दौरान धार्मिक क्रियाकलाप संपन्न करने का अधिकार मिला हुआ है। इससे अधिक उन्हें वहां और क्या 'चाहिए। ऐसे में शिया और सुन्नी के बीच पेंच फंसा ही हुआ है।

जमीन जिसकी वह साक्ष्य प्रस्तुत करे: जिलाधिकारी

जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने कहा कि पुलिस आयुक्त और हमसे शिया समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल मिला था। वह दोषीपुरा स्थित जमीन को अपनी बता रहे थे। उनसे पुख्ता साक्ष्य मांगे गए हैं। कहा गया है कि बताएं कि चाहते क्या हैं? वह जो साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे, उसे सत्यापित कराकर नियमानुसार और तर्कसंगत तरीके से कार्रवाई की जाएगी।

Updated On 31 July 2023 5:56 AM GMT
बनारसी नारद

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