वाराणसी। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में भूभौतिकी विभाग के शोध छात्र ने अपने सुपरवाइजर पर मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। शोध छात्र ने सोशल मीडिया पर विडियो जारी कर अपनी रामकहानी बताई। छात्र ने विडियो जारी करते हुए कहा कि उसके सुपरवाइजर उसे हमेशा अपशब्द कहते थे। साथ ही वे उसपर घर का काम करने का दबाव बनाते थे।

शोध छात्र दीपांकर घोष ने सोशल मीडिया पर बुधवार रात तीन मिनट 45 सेकेंड का वीडियो जारी किया। छात्र ने विडियो में बताया कि शोध निदेशक उसे प्रताड़ित करते थे। जिसकी वजह से वह अवसाद में चला गया था। उसे अपशब्द बोले जाते थे। शोध निदेशक उससे अपने निजी कार्य कराते थे और जूनियरों के सामने उसे नीचा दिखाया जाता था।

बताया कि दिवाली के बाद वह घर से भागकर आत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन दोस्तों ने उसे समझाया। दीपांकर ने बताया कि उसे गायन और नृत्य का शौक है। ऐसे में शोध निदेशक उसे अपशब्द कहकर पुकारते थे। इतना ही नहीं, दीपांकर ने शोध निदेशक पर कैरियर चौपट करने की धमकी देने का भी आरोप लगाया। उसने बताया कि उसने तत्कालीन विभागाध्यक्ष से शोध निदेशक की शिकायत की, लेकिन उसे दरकिनार कर दिया गया। दीपांकर ने कहा कि निदेशक पर कार्रवाई नहीं की गई तो वह और छात्रों की जिंदगी बर्बाद करते रहेंगे।

मेरे पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था: छात्र

दीपांकर ने बताया कि शोध निदेशक और पूर्व विभागाध्यक्ष ने साजिश रचकर बिना नोटिस पीएचडी कैंसिल कर दी। अक्टूबर 2022 तक विभाग में रोज आता था, लेकिन प्रताड़ित किया जाता था। जिसकी वजह से बीमार हो गया। बाद में विभाग गया तो बताया गया कि मेरी पीएचडी कैंसिल कर दी गई है। इसके बाद मेरे पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।

पीएचडी निदेशक ने कहा- सारे आरोप निराधार

पीएचडी निदेशक प्रो। उमाशंकर ने कहा कि शोध छात्र के सारे आरोप निराधार हैं। वह दो महीने तक गायब था। उसे मेल भेजकर सूचित किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया। नियमानुसार दो महीने अनुपस्थित होने के कारण उसका पंजीकरण निरस्त हो गया। विभागाध्यक्ष प्रो। जीपी सिंह ने कहा कि मैंने मई में कार्यभार ग्रहण किया है। शोध छात्र ने मुझे इस तरह की कोई शिकायत नहीं दी।

बनारसी नारद

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