वाराणसी। भेलुपुर थाना अंतर्गत शंकराचार्य कॉलोनी में 29 मई को हुआ डकैती काण्ड अब खींचता जा रहा है। इस घटना के 90 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ ज़रूरी साक्ष्य नहीं लग सके हैं। सिविल जज (जूनियर डिवीजन) एफटीसी प्रथम शक्ति सिंह की कोर्ट ने भेलूपुर डकैती कांड में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों व सीसी फुटेज / डीवीआर / मेमोरी कार्ड इत्यादि का साक्ष्य संकलित करने को कहा है। कोर्ट ने मुकदमे के विवेचक भेलूपुर थाना प्रभारी को निर्देशित किया है कि प्रार्थना पत्र के परिपेक्ष्य में वर्णित साक्ष्य को संकलित करें।

डकैती कांड में जेल में बंद आरोपी सच्चिदानंद राय उर्फ मंटू ने अपने अधिवक्ता अनिल सिंह के माध्यम से कोर्ट में अर्जी दी। अर्जी में कहा गया है कि सच्चिदानंद को पुलिस बीते 30 मई को उसे एक वाहन सहित पकड़ कर कई क्षेत्रों में घुमाती रही। बाद में उसे भेलूपुर थाने ले जाया गया और दो दिन बाद छोड़ दिया गया। मगर, वाहन और मोबाइल नहीं दिया गया। इस दौरान की सारी घटना क्षेत्र के सरकारी व अन्य सीसी कैमरों के डीवीआर में दर्ज है और वह मात्र 90 दिनों तक ही सुरक्षित रहता है। इसके बाद उसे सात जून की रात उसके घर से पुलिस फिर ले गई और लगातार हिरासत में रखी। इससे संबंधित सीसी फुटेज भी हैं और इस मुकदमे में अहम साक्ष्य है। सच्चिदानंद ने साक्ष्य को विवेचना में संकलित करने के लिए कोर्ट से गुहार लगाई है।

ये है पूरा मामला

प्रकरण के मुताबिक, बीते 29 मई 2023 की रात खोजवा क्षेत्र की आदि शंकराचार्य कॉलोनी स्थित गुजरात की एक फर्म के कार्यालय से एक करोड़ 40 लाख रुपये की लूट की गई थी। जिसमें तत्कालीन इंस्पेक्टर समेत सात पुलिसकर्मी पहले ही सस्पेंड किये जा चुके हैं। इस प्रकरण के दो दिन बाद पुलिस ने नाटकीय तरीके से 92 लाख 94 हजार रुपये की बरामदगी एक लावारिस कार से दिखाई थी। इस प्रकरण में संलिप्तता उजागर होने पर भेलूपुर थाने के पूर्व थानाध्यक्ष रमाकांत दुबे सहित सात पुलिस कर्मी बर्खास्त कर दिए गए थे। घटना का मास्टरमाइंड तिलमापुर निवासी अजीत मिश्रा समेत पांच आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। प्रकरण में सात पुलिस कर्मी सहित नौ आरोपी अभी वांछित हैं। वहीँ मुख्य आरोपी अजीत मिश्रा ने पुलिस की कस्टडी में रुपए अपने पास होने की बात कबूली थी। साथ ही उसने पैसों की बरामदगी को लेकर अपनी याददाश्त खोने का नाटक किया था।

बनारसी नारद

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