वाराणसी। निकाय चुनाव में वोटर लिस्ट से नाम गायब होने का बावजूद महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर आनंद कुमार त्यागी ने वोट डाला था। जिसके बाद डीएम ने पूरे प्रकरण में जांच बैठाई थी। वहीं इस मामले में आज जिलाधिरी ने कहा कि नियम को फॉलो करने की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारी की है। सेक्टर मजिस्ट्रेट द्वारा उन्हें गलत नियम समझाया गया। इस दवाब में आकर कुलपति को वोट करा दिया गया, इस मामले में दोनों लोग दोषी पाए गए है उनपर कार्रवाई की गई है।

बता दें कि, बीते 4 मई को वाराणसी में निकाय चुनाव के प्रथम चरण का मतदान हुआ था। जिसमें काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय में बने पोलिंग स्टेशन पर विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी नगर निकाय चुनाव में अपना मत डालने पहुंचे तो वहां उनका नाम वोटर लिस्ट से गायब था। ऐसे में वहां मौजूद सेक्टर मजिस्ट्रेट सत्येंद्र पाठक से उन्होंने शिकायत की थी, जिसके बाद नियमों के खिलाफ जाकर सेक्टर मजिस्ट्रेट ने सूची में उनका नाम जोड़ते हुए उन्हें मतदान की अनुमति दी थी।

वहीं इस बात की जानकारी होने पर जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी एस राजलिंगम ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद उन्होंने इस पूरे मामले में उप जिला निर्वाचन अधिकारी/एडीएम प्रशासन रणविजय सिंह से इस पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की थी। इसके बाद उप जिला निर्वचन अधिकारी ने उस पोलिंग बूथ के सभी मतदाता कर्मियों से बयान लेने के बाद जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी थी

Ankita Yaduvanshi

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