वाराणसी से अलग होकर साल 1997 चंदौली एक अलग जिला बना और यहाँ पर भी एक नए सांसद चुने जाने लगे। चंदौली एक ऐसा जिला है, जहाँ की भूमि कृषि योग्य मानी जाती है। ऐसे में यहाँ किसानों का एक अलग ही बोलबाला है। वो किसान जो किसी आम आदमी को उनके जीवकोपार्जन के साधन उपलब्ध कराते हैं, तो वहीं किसान देश की राजनीति में भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। वाराणसी से लगभग 40 किलोमीटर की दुरी पर स्थित चंदौली जिला वाराणसी के सियासत पर भी असर दिखाती है।


मगर क्या आप जानते हैं कि आजादी के बाद साल 1952 शुरू हुए चुनाव के बाद कौन सबसे पहले चंदौली का सांसद चुना गया था? 1998 के बाद से 16 साल तक जनता ने किसी प्रत्याशी को दुबारा मौका नही दिया? आइए आपको बताते हैं, इससे जुड़े रोचक किस्सों के बारे में और आपको लिस्ट दिखाते हैं कि 1952 से लेकर अब तक चंदौली लोकसभा सीट से कौन-कौन सांसद रहे हैं?


चंदौली के पहले सांसद से वर्तमान तक की पूरी लिस्ट

स्वतंत्र भारत में जब साल 1952 में चुनाव की शुरुआत हुई, तब चंदौली लोकसभा सीट से पहले सांसद भारतीय नेशनल कांग्रेस के त्रिभुवन नारायण सिंह रहे। स्वतंत्र भारत में कांग्रेस के त्रिभुवन नारायण सिंह के द्वारा शुरू की गई इस चुनावी बागडोर को इस वक़्त वर्तमान में भाजपा के महेंद्र नाथ पाण्डेय संभाल रहे हैं। आइए देखते हैं पूरी लिस्ट और जानते हैं किसका कब तक रहा कार्यकाल:-

1957 - त्रिभुवन नारायण सिंह (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

1959 - प्रभु नारायण सिंह (सोशलिस्ट पार्टी)

1962 - बाल कृष्ण सिंह (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

1967 - निहाल सिंह संयुक्त (सोशलिस्ट पार्टी)

1971 - सुधाकर पांडे भारतीय (राष्ट्रीय कांग्रेस)

1977 - नरसिंह यादव (जनता पार्टी)

1980 - निहाल सिंह ___

1984 - चंद्रा त्रिपाठी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

1989 - कैलाश नाथ यादव (जनता दल)

1991 - आनंद रत्न मौर्य (भारतीय जनता पार्टी)

1996 - आनंद रत्न मौर्य (भारतीय जनता पार्टी)

1998 - आनंद रत्न मौर्य (भारतीय जनता पार्टी)

1999 - जवाहर लाल जयसवाल (समाजवादी पार्टी)

2004 - कैलाश नाथ यादव (बहुजन समाज पार्टी)

2009 - रामकिशुन (समाजवादी पार्टी)

2014 - महेंद्र नाथ पांडे (भारतीय जनता पार्टी)

2019 - महेंद्र नाथ पांडे (भारतीय जनता पार्टी)

गौरतलब है कि, एक तरफ जहाँ चंदौली को वाराणसी का पड़ोसी जिला कहा जाता है, तो वहीं दूसरी तरफ चुनावी मैदान के लिए भी यह महत्पूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में सियासत के मामले में चंदौली लोकसभ सीट काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। हर चुनाव में चंदौली जिले में सभी राजनीतिक पार्टियों के बीच का कड़ा और रोचक मुकाबला देखने को मिलता है।

16 साल बाद बदला इतिहास, एक ही पार्टी के प्रत्याशी दुबारा बने सांसद

चंदौली लोसभा सीट से लगभग 16 साल के बाद ऐसा हुआ था, जब बीजेपी के महेंद्र नाथ पांडेय को जनता ने दुबारा मौका दिया था। वरना 1998 के बाद से ऐसा हुआ था कि यहाँ किसी पार्टी के प्रत्याशी दुबारा सांसद नही बन पाए थे। 2019 में जनता का दिल जीत कर बीजेपी के महेंद्र नाथ पांडेय ने यहाँ भाजपा की लहर फिर से दुबारा लाई थी और इस समय चंदौली से वर्तमान में सांसद हैं।


वर्तमान सांसद महेंद्र नाथ पाण्डेय तीसरी बार लड़ेंगे चुनाव

चंदौली में लोकसभा चुनाव में डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय को भाजपा ने लगातार तीसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है। साल 1973 में वह सीएम एंग्लो बंगाली इण्टर कॉलेज से अध्यक्ष चुने गए तो वहीं 1978 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के महामंत्री भी बने। साल 1978 में ही वे आरएसएस से जुड़े। 1975-1976 में एवीबीपी के वाराणसी जिला संयोजक रहे। 1985-1986 में उनको भाजयुमो का प्रदेश मंत्री बनाया गया। 1987 में भाजपा उत्तर प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य चुने गए। पहली बार 1991 में सैदपुर (गाजीपुर) विधानसभा से वह विधायक चुने गए। उन्होंने 1996 में भी दोबारा सैदपुर का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में महेन्द्रनाथ पांडेय ने पहली बार चंदौली सीट से सांसद चुने गए। वहीं साल 2019 में फिर से भाजपा ने उन पर अपना भरोसा जताया और जनता ने भी उनका साथ दिया।

Updated On 6 March 2024 10:55 AM GMT
Vipin Singh

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