Nag Panchami 2023: इस नाग मंदिर पर नहीं है छत, जिसने भी की बनवाने की कोशिश उसके साथ हुई अप्रिय घटना
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Nag panchami 2023 . भारत में पौराणिक कल से ही नाग देवता की पूजा होती आ रही है. भारत में अनेक नाग मंदिर मौजूद हैं, लेकिन आज हम आपको नागदेवता के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे। कहा जाता है इस नाग मंदिर की छत नहीं है खास बात यह है कि जिसने भी इस मंदिर की छत डलवाने की सोची उसके साथ अप्रिय घटना हुई है। तो चलिए फिर नाग पंचमी के इस पावन पर्व पर जानते है आखिर वो कौन सा नाग मंदिर है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है।
यहां स्थित है मंदिर
दरअसल, हम जिस मंदिर की बात कर रहे है वो यूपी के औरैया जिले के दिबियापुर थाना क्षेत्र के सेहुदा गांव में स्थित प्राचीन नाग मंदिर है। कहा जाता है कि कन्नौज के राजा जयचंद्र भी इस मंदिर में दर्शन करने के लिए एक गुप्त सुरंग के जरिए आते थे, जो आज भी मंदिर में वह सुरंग बनी हुई है। मंदिर में नाग नगीन के जोड़े भी रहते हैं जो कभी कभी भक्तों को दर्शन भी देते हैं। इस मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है और लोग दूर दूर से इस मंदिर में दर्शन को आते हैं।
क्या है नाग मंदिर की कहानी?
सेहुदा गांव के लोगों का मानना है कि इस मंदिर को देवताओं ने बनवाया था, जो रातों रात बन कर तैयार हुआ था और तब से ही इस मंदिर की छत नहीं थी। आज भी इस मंदिर का नवनिर्माण नहीं हो पाया है, क्योंकि जिसने भी इस नाग मंदिर की छत डलवाने की सोची उसके साथ बुरा ही हुआ या यह कहे की उस घर का वंश ही नहीं बचा।
नाग पंचमी के दिन दूर-दूर से आते हैं लोग
नाग मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि वीं सदी में मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय इस मंदिर में भी के तोड़-फोड़ किया गया था। इसके अंदर आज भी खंडित मूर्तियां रखी हुई हैं जिनकी गांव के लोग ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश से भी भक्त आकर पूजा करते हैं और मन्नत मांगते है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में छत का निर्माण कराता है या सोचता भी है उसकी मौत हो जाती है।
राजा जयचंद्र आते थे नाग देवता का दर्शन करने
इस मंदिर का निर्माण किसने और कब कराया ये आज भी रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि कन्नौज के राजा जयचंद्र की इस मंदिर के प्रति विशेष आस्था थी. यहां नाग पूजन करने के लिए वह खुद आया करते थे। उस समय राजा जयचंद्र ने मंदिर पहुंचने के लिए एक गुप्त सुरंग का निर्माण भी कराया था जो आज भी मन्दिर में गुप्त सुरंग बनी हुई है।
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