वाराणसी। काशी मंदिरों का शहर है। यहां प्रतिदिन लाखों भक्त दर्शन व पूजन के लिए आते हैं। भक्त काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर आनंदित होते हैं और बाबा से दोबारा आने का वादा कर चले जाते हैं। लेकिन इन सब के बीच काशी के दूसरे छोर एक मंदिर ऐसा भी है, जहां दर्शन किए बिना काशी के किसी भी मंदिर का दर्शन अधूरा माना जाता है। काशी से, लगभग 5 मील की दूरी पर स्थित वह मंदिर है- भगवान वेदव्यास मंदिर।


व्यास जी हिंदू धर्म के सबसे सम्मानित देवता हैं। उन्हें वेद व्यास भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने वेदों को चार भागों में वर्गीकृत किया था, साथ ही महाकाव्य महाभारत के लेखक भी हैं। काशी से पांच मिल दूर चंदौली जिले के व्यासनगर में वेद व्यास का प्राचीन मंदिर है. यहां माघ के महीने में मेला लगता है. इसके साथ ही सावन में प्रत्येक सोमवार को यहां विशेष मेला लगता है।

वेदव्यास महादेव मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद महर्षि व्यास काशी भ्रमण को आए जहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया। व्यास जी ने स्कन्द पुराण के काशी खंड में लिखी कहानियों के अनुसार सुना था कि काशी में कोई भूखा नहीं सोता है। किन्तु उन्हें दो-तीन दिनों तक भूखे रहना पड़ा। इस बात से नाराज़ होकर उन्होंने काशी नगरी को श्राप दिया कि उनका दर्शन-पूजन निष्फल साबित होगा और पांच मील की दूरी पर दूसरी काशी बसाने की ठान ली।

इस बात की जानकारी मिलते ही भोलेनाथ ने मां अन्नपूर्णा को वेश बदलकर व्यास जी के पास भेजा. देवी अन्नपूर्ण 56 प्रकार के प्रसाद का भोग लेकर ऋषि के पास पहुंची लेकिन उन्होंने अपने तेज से उन्हें पहचान लिया और वापस लौटा दिया।

गणेश जी ने कराया श्राप मुक्त

मंदिर के महंत अशोक कुमार पाण्डेय के अनुसार बाद में गणेश जी ने व्यास जी के क्रोध को शांत करने और काशी को श्राप मुक्त कराने के लिए व्यास जी की सेवा करने और काशी को श्राप मुक्त करने का उपाय पूछने गए। एक दिन गणेश जी से प्रसन्न होकर व्यास जी ने उनसे वरदान मांगने को कहा। तब उन्होंने काशी को श्राप से मुक्त करने का वरदान मांग लिया।

मंदिर के बाहर विराजमान हैं नंदी

इसके बाद उन्होंने काशी को श्राप मुक्त किया और गणेश जी को महाभारत रचना को लिखने के लिए तैयार भी किया, साथ ही यह भी कहा कि व्यास मंदिर में दर्शन किए बिना काशी का पुण्य नहीं मिलेगा। तभी से इस स्थान पर व्यास मुनि को भोजन बनाकर चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। मंदिर के अन्दर शिवलिंग की स्थापना की गई है और बाहर नंदी भी विराजमान हैं। वहीं मंदिर प्रांगण में मां दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती व हनुमान जी के भी मंदिर हैं।

व्यास मंदिर काशी, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर मंदिर महर्षि वेदव्यास को समर्पित है, जिन्होंने हिंदू धर्म के महाकाव्य महाभारत का निर्माण किया था।


व्यास मंदिर काशी के पास एक छोटा तालाब है, जिसे व्यास कुंड के नाम से भी जाना जाता है। इसका महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहां मान्यता है कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना इसी कुंड के पास की जगह पर की थी।

व्यास मंदिर काशी वाराणसी नगर में प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां आने वाले लोग महर्षि वेदव्यास के पुत्री अष्टव्यास का दर्शन करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं। यहां संप्रदायों के अलावा बहुत से धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।

काशी नगर भारतीय संस्कृति, धर्म और आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है, और व्यास मंदिर इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां आने वाले लोग मंदिर में धार्मिक आराधना करते हैं और शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

Vipin Singh

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