वाराणसी। हमेशा अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या शनिवार की रात वाराणसी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रेसवार्ता कर मीडिया से बातचीत करते हुए रामचरितमानस पर…

वाराणसी। हमेशा अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या शनिवार की रात वाराणसी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रेसवार्ता कर मीडिया से बातचीत करते हुए रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान को लेकर कहा कि मैंने कभी रामचरितमानस का विरोध नहीं किया मैंने उसके कुछ विवादित अंश को इंगित किया है और आज भी मैं अपने बयान पर टिका हुआ हूं या तो उसे संशोधित किया जाए या प्रतिबंधित किया जाए। उन्होंने कहा कि कबीरदास जी हिंदू धर्म के सर्वे सर्वा नहीं थे।

कबीर दास जी की बातों को लोग हिंदू धर्म के रूप में नहीं मानते

स्वमी प्रसाद ने कहा कबीर दास जी की बातों को लोग हिंदू धर्म के रूप में नहीं मानते। सभी अपने धर्म को सनातन बताते हैं। सनातन का मतलब प्राचीन या पुराना होता है। सनातन कोई धर्म नहीं है, उसकी प्राचीन या पुराने पन से ही सनातन शब्द की उत्पत्ति हुई है। उन्होंने कहा कि जो जिस धर्म को मानता है उसकी तारीफ भी कर सकता है उसकी कमियों को बता भी सकता है, उसका अपना अधिकार है। इसमें कोई बहस का विषय नहीं है।

मदनी के बयानों का किया समर्थन

स्वामी प्रसाद ने कहा कि सही बात तो यह है कि बुद्ध कहते थे कि ‘असो धम्म: सनातन:’ यानी कि सबसे पुराना धर्म सनातन है। इससे पुराना कुछ भी नहीं। ईसा से 500 साल पहले बुद्ध, ईसाई, इस्लाम धर्म आया। इसके बाद तमाम धर्म पैदा होते रहे। हर कोई अपने-अपने धर्म को सनातन बोले। उन्होंने मदनी के बयानों का भी समर्थन किया, जिसमें बोला था कि मुस्लिम ही सनातन है।

वहीं पत्रकारों ने सवाल किया कि कुछ लोगों ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाई हैं। इसपर उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म वालों ने ही प्रतियां जलाई है ये सरकार के दबाव में पुलिस का एजेंडा है।

इन्वेस्टर्स समिट पर कसा तंज

इसके बाद स्वामी प्रसाद ने इन्वेस्टर समिट पर भी तंज कसा। स्वामी ने कहा, इन्वेस्टर समिट से पहले यह पूछा जाए कि रोजगार कितने लोगों को दिया। हमारा प्रदेश विकास के रास्ते पर आए, ये खुशी सबको होगी। लेकिन, कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। आपका काम जमीन पर दिखना भी चाहिए। स्वामी प्रसाद ने कहा कि शुरुआती दौर में जब हम विश्वविद्यालय के छात्र होते थे तो निजी संपत्ति का राष्ट्रीयकरण किया जाता था। मगर, आज राष्ट्रीय संपत्ति का निजीकरण हो रहा है। देश के सारे बंदरगाह बिक गए। एयरपोर्ट, एयर इंडिया, रेलवे स्टेशन दे दिया। कई दर्जन ट्रेनें बेच दी। LIC, बैंक दे दिया। आखिर, ये कौन सी सरकार है, जो नौजवानों को नौकरी देने के बजाय अडानी-अंबानी को सब कुछ दिए जा रही है।

Updated On 12 Feb 2023 5:49 AM GMT
Ankita Yaduvanshi

Ankita Yaduvanshi

Next Story