देशी गाय को पालना किसी औषधि से कम नहीं, इसका दूध अगर अमृत है तो मूत्र औषधि है- अजीत महापात्र
वाराणसी। गाय विश्व की माता है, यह संदेश भारत के शास्त्रों में हजारो वर्षों से वर्णित है, लेकिन मुनाफे के चक्कर में देशी गाय को छोड़कर लोग जर्सी गाय की…

वाराणसी। गाय विश्व की माता है, यह संदेश भारत के शास्त्रों में हजारो वर्षों से वर्णित है, लेकिन मुनाफे के चक्कर में देशी गाय को छोड़कर लोग जर्सी गाय की तरफ भागने लगे और यहीं से घर-घर बीमारी का केंद्र बन गया। गाय का दूध अगर अमृत है तो गाय का मूत्र औषधि है जो सैकड़ों बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखती है। आज पूरी दुनियां गाय के उपयोग को जीवन रक्षा के लिए बेहतर मान रही है। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अजीत महापात्र ने विशाल भारत संस्थान द्वारा सुभाष भवन, इन्द्रेश नगर, लमही में आयोजित देसी गाय व मानव जीवन की निर्भरता विषयक संगोष्ठी में कही।

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अजीत महापत्र ने सुभाष मन्दिर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया व दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया। अजीत महापात्र ने कृषि कार्य व गौ सेवा से जुड़ी महिलाओं को शॉल देकर सम्मानित किया।

इस अवसर पर अजीत महापात्र ने कहा स्वयं को और अपने परिवार को स्वस्थ रखने के लिये सबसे बेहतर उपाय है अपने परिवार के सदस्यों में गाय को शामिल करना। गाय के स्पर्श मात्र से कई बीमारियां दूर होती हैं। मन शांत हो जाता है और रचनात्मक ऊर्जा का विकास होता है। आज यूरोप के देश गौ पालन की प्रतिस्पर्धा मंन लगे हैं। ऋषियों मुनियों की बातें आज भी प्रासंगिक साबित हो रही है। आज फिर से मानवीय जीवन की निर्भरता भारतीय गायों पर बढ़ गई है। अब लोगों को लगने लगा है कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिये गाय पालना आवश्यक है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विशाल भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव गुरु ने कहा कि जिस तरह से मन्दिर में जाने पर ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है, उसी तरह से गौ माता के सम्पर्क में आने से बीमारी दूर होती है। संगोष्ठी का संचालन अर्चना भारतवंशी ने किया।
संगोष्ठी में गुलाब श्रीवास्तव, नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी, डॉ० मृदुला जायसवाल, अंजली यादव, निधि राय, ओ.पी पाण्डेय, सुनीता श्रीवास्तव, पूनम श्रीवास्तव, गीता देवी, उर्मिला, मैना देवी, पार्वती देवी, हीरामनी, किशुना देवी, खुशी रमन भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, इली भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी आदि लोगों ने भाग लिया।
