वाराणसी। मुख्तार अंसारी की बीते गुरुवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। मुख्तार एक ऐसा नाम रहा है, जिसका अपराध से लेकर सियासी दुनिया तक बोलबाला था। एक वक्त था जब पूरे पूर्वांचल में उसकी तूती बोलती थी। जेल में रहने के बाद भी मुख्तार अंसारी को जनता का इतना सहयोग मिला कि आपको सुनकर हैरानी होगी, क्योंकि जेल के अंदर रभी वो अपना साम्राज्य चला रहा था।


जेल के अंदर रहते हुए बीजेपी के दिग्गज नेता को चुनाव में कांटे की टक्कर देना वो भी किसी माफिया का... ये कोई आम बात नहीं थी। ये दांव बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2009 के लोकसभा चुनाव में खेला था। जब मुख्तार अंसारी जेल में बंद था और मतदान के दिन अफवाह उड़ी कि "भाई जीत गया"।

माफिया मुख्तार अंसारी की पैठ सिर्फ गाजीपुर और मऊ जनपद के राजनीतिक गलियारे में ही नहीं थी बल्कि उसकी मजबूत पैठ वाराणसी में बखूबी नजर आती है। 2009 लोकसभा चुनाव में वाराणसी के जनता के बीच ना जाकर भी उसने जिस प्रकार से अपनी धमक दिखाई, इससे उसकी पैठ का पता चलता है क्योंकि उस वक्त हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी मात्र कुछ ही वोटों से मुख्तार अंसारी को हरा पाए थे और उनके पसीने छूट गए थे।

2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जब अपनी वाराणसी सीट गंवा दी थी। तब अपने आप को मजबूत करने में उन्होंने एडी से लेकर चोटी तक एक कर दिया था। इसके बाद समय आया 2009 के लोकसभा चुनाव का। बताते चलें कि 2004 के चुनाव में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल को कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. राजेश मिश्रा ने हरा दिया। अपनी सीट वापस हासिल करने के लिए भाजपा ने इलाहाबाद से सांसद व भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी को इस सीट से चुनावी मैदान में उतारा था।

डाॅ. जोशी के प्रत्याशी बनते ही बसपा ने जेल में बंद मुख्तार अंसारी को प्रत्याशी बनाकर देश-दुनिया की नजर में चढ़ा दिया। ऐसे में यह सीट हॉट सीट बन गई। डॉ. मुरली मनोहर जोशी को प्रत्याशी बनाए जाने से नाराज तत्कालीन भाजपा नेता अजय राय ने सपा का हाथ थाम लिया और सपा ने अजय राय को टिकट देकर बड़ा दांव खेला।

जेल में रहते हुए भी मुख्तार अंसारी ने अपने खास लोगों को चुनाव प्रचार में लगा दिया था। मतदान का दिन नजदीक आने के साथ इस सीट पर हो रही चतुष्कोणीय लड़ाई सिर्फ भाजपा व बसपा के बीच सिमट गई। मतदान के दिन दोपहर में फैली अफवाह कि ‘भाई जीत गया’। गर्मी के चलते मतदाता कम निकल रहे थे जबकि मुस्लिम इलाकों में लंबी लाइन लगी थी। मुख्तार की जीत की अफवाह जंगल में आग की तरह फैल गई। इसके बाद भाजपा समर्थक सक्रिय हुए और लोगों को घर से निकाल कर मतदान करने के लिए भेजा। मात्र 42.61 प्रतिशत ही वोटिंग हुई।

मतगणना के दिन शुरुआती रूझान भी बाहुबली मुख्तार अंसारी के पक्ष में था। अंत में डॉ. मुरली मनोहर जोशी मात्र 17211 मतों से चुनाव जीतने में सफल रहे। इस प्रकार 2009 में भाजपा अपनी प्रतिष्ठा बचाने में तो कामयाब हो सकी थी।

Updated On 29 March 2024 10:09 AM GMT
Vipin Singh

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