BPSC Success Story : अभी हाल ही में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 67वीं कंबाइंड कॉम्पिटेटिव परीक्षा 2023 का रिजल्ट जारी किया गया है। BPSC में पास होने वाले कई परीक्षार्थी ऐसे हैं जिन्होंने मेहनत के दम पर अपनी किस्मत लिखी है, इनमें से ही एक है वाराणसी के जय कुमार पांडेय, जो बिहार PCS में नगर आयुक्त पद पर चयनित हुए है। जय के पिता एक किसान है, उन्होंने अपने बेटे को टॅाफी-बिस्किट बेचकर बड़ी मुश्किलों से पढ़ाया लिखाया है, वहीं आज जयंत की कुछ कर गुजरने के हौंसले और कड़े परिश्रम का परिणाम है जो आज इस मुकाम पर पहुंचे है। आइए जानते है उनकी सक्सेस स्टोरी जो हर छात्र को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी...

2004 में यूपी कॅालेज से कम्पलीट किया ग्रेजुएशन

जय कुमार पांडेय वाराणसी के हरहुआ स्थित ऑरा गांव के निवासी हैं। उनकी स्कूलिंग गांव के ही स्कूल से हुई। इसके बाद वाराणसी के यूपी कॉलेज से 2004 में ग्रेजुएट हुए। 2005 में वह SSC की तैयारी के लिए प्रयागराज चले गए। पिता जगदीश पांडेय जो एक छोटे किसान थे। छोटे रकबे से घर भर के खाने का राशन उपजा पाते थे।



बेटे की पढ़ाई के लिए पिता ने खोली टॅाफी-बिस्किट की दुकान

बेटे की पढ़ाई के लिए पैसों का इंतजाम नहीं हो पा रहा था, तो गांव में ही टॉफी-बिस्किट की एक छोटी-सी दुकान खोल ली। रोज 20-20 रुपए जमा करके हर महीने 600 रुपए प्रयागराज भेजते थे। जय इन 600 रुपयों से प्रयागराज में कमरे का कराया देते थे, बाकी किताब-कॉपी का खर्च ट्यूशन पढ़ाकर निकालते थे। जबकि, राशन और मसाले वह घह से ही बोरे में लादकर लाते थे। जब एग्जाम देने दिल्ली गए, तो ट्रेन के जनरल में विद आउट टिकट सफर करना पड़ता था।

2007 में पास किया SSC मैटिक लेवल प्री-मेन

जय ने पहला एग्जाम 2007 में SSC मैटिक लेवल प्री-मेन पास किया। इसके बाद टाइपिंग टेस्ट की तैयारी कर रहे थे कि CPU-SI में सिलेक्शन हुआ। CISF में उन्हें सब इंस्पेक्टर के तौर पर जॉइनिंग मिली। नौकरी पाने के बाद करियर में कोई पॉज नहीं आया, बल्कि बड़ी तेजी से 2008 में दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर का एग्जाम पास कर लिया। साढ़े 6 मिनट में 1600 मीटर दौड़कर फिजिकल भी निकाल लिया। 9 महीने ट्रेनिंग हुई और पहली पोस्टिंग कनॉट प्लेस में मिली।



लगातार सिविल सेवा में 10 से ज्यादा बार प्री-मेंस और इंटरव्यू दिया

पुलिस की हैक्टिक फील्ड जॉब के साथ ही आगे की तैयारी चलती रही। CPF में असिस्टेंट कमांडेंट बने। बाद में SSC ग्रेजुएट लेवल का एग्जाम देकर नेशनल हाईवे में अकाउंटेंट की नौकरी पा ली। तब से नौकरी के साथ लगातार जय ने सिविल सेवा में 10 से ज्यादा बार प्री-मेंस और इंटरव्यू दिया है।

बैक टू बैक सेंट्रल गवर्नमेंट की 5 नौकरियां छोड़ी

बता दें कि, जय अब तक बैक टू बैक सेंट्रल गवर्नमेंट की 5 नौकरियां छोड़ चुके हैं। SSC मैट्रिक लेवल, CISF सब इंस्पेक्टर, CPF असिस्टेंट कमांडेंट और दिल्ली पुलिस कनॉट प्लेस में सब इंस्पेक्टर भी रहे। इस समय वाराणसी विकास प्राधिकरण यानी VDA में नेशनल हाईवे डिवीजन में अकाउंटेंट हैं। अब छठी सफलता उनको BPSC में नगर आयुक्त के तौर पर मिली है।



जयंत ने बताया कि हर परीक्षा से 4-5 महीने पहले सप्ताह भर में 50-55 घंटे की सेल्फ स्टडी की। हर एक विषय का नोट्स बनाता गया और परीक्षा नजदीक आते ही नोट्स का रिवीजन किया। एग्जाम से 1 महीने पहले स्टडी टाइम को डबल कर दिया। नए फैक्ट्स की खोज और रिवीजन में हर सप्ताह 100 घंटे देता रहा।

एग्जाम में जब पेपर आया, किसी एक सवाल के 4 विकल्पों में सही को चुनने में कोई कन्फ्यूजन नहीं हुआ। सवाल पढ़ते ही जवाब दिमाग में अंकित था। वहीं, मेंस एग्जाम में तो ऐसा लगा कि जैसे नोट्स मेरे सामने रखे हों और मैं देखकर लिख रहा हूं। ये सब केवल अपने नोट्स के रिवीजन की वजह से संभव हो पाया।"

Updated On 31 Oct 2023 11:54 AM GMT
Ankita Yaduvanshi

Ankita Yaduvanshi

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