वाराणसी। "बनारस मुझे ऐसा लगता है जैसे मुझे भोलेनाथ लगते है। इतने मनमोहक, इतने आकर्षक की उनकी छवि से आप की निगाहें न हटें। जब भी काशीवासी बुलाएंगे मै आ…
![Nationalist lyricist Manoj Muntashir reached Varanasi Nationalist lyricist Manoj Muntashir reached Varanasi](http://varanasitoday.com/wp-content/uploads/2023/02/Nationalist-lyricist-Manoj-Muntashir-reached-Varanasi.jpg)
वाराणसी। "बनारस मुझे ऐसा लगता है जैसे मुझे भोलेनाथ लगते है। इतने मनमोहक, इतने आकर्षक की उनकी छवि से आप की निगाहें न हटें। जब भी काशीवासी बुलाएंगे मै आ जाऊंगा। उक्त बातें राष्ट्रवादी गीतकार, लेखक और फिल्म राइटर मनोज मुन्तशिर ने वाराणसी में कहीं। मनोज वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित काशी शब्द उत्सव में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने जहां योगी सरकार की जमकर तारीफ़ की तो वहीँ स्वामी प्रसाद मौर्या की पढ़ाई पर सवालिया निशान लगा दिया। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या की पहले मार्कशीट देखिये। कितना पढ़े-लिखे हैं मुझे डाउट है इसपर।
मनोज ने UP ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 के विषय में किये गए सवाल पर कहा कि उत्तर प्रदेश की जो जीडीपी है वो इस सरकार के कार्यकाल में दोगुनी हो गयी है। 11 हजार करोड़ की थी जीडीपी जब वो आये थे और आज 23 हजार करोड़ की जीडीपी हो गयी है। इससे ये पता चलता है कि लोग सेक्यूर हैं और उद्योग यहाँ सेक्योर है। इसलिए अब यहाँ इन्वेस्टर्स पैसा लगाने में डरते नहीं हैं। और योगी जी ने एक कमिटमेंट की है कि जिसका मुझे इंतजार है कि हमारी जितनी जीडीपी है उतना इन्वेस्टमेंट वो लेकर आएंगे।
वहीँ रामचरितमानस के विवाद पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई तथ्य नहीं है। इसमें कोई बात नहीं जिससे समाज का कोई भला होना है। बाबा तुलसीदास दलित, वंचित और स्त्री विरोधिनाही थे। ये सब भावना भड़काने की साजिश है। कुछ लोग डिवाइड एन्ड रूल की बात कर रहे हैं ये सनातन को बांटना चाहते हैं। ये हिन्दू धर्म के बीच में फ्रेग्मेंट खड़ा करना चाहते हैं लेकिन मैं कहना चाहूंगा आप बंटना मत है ये आप के भारतीय होने और सनातनी होने की परीक्षा है। ऐसी ताकतों को बता दें कि हम पानी के धारे हैं जो काटे से कटेगा नहीं और बाटने से बंटना है।
इस दौरान लखनऊ का नाम लक्षमणपुर करने की मांग पर उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार ने जो भी नाम बदले वो मुग़ल डकैतों द्वारा पुराने नामों को बदल कर रखा गया था। ऐसे में यदि लखनऊ का वास्तिविक नाम कुछ और था तो उसे भी बदलना चाहिए।
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