वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 सितंबर को एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी आ रहे है। इस दौरान प्रधानमंत्री संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 232 साल पुरानी सरस्वती लाइब्रेरी भी जा सकते हैं। इस लाइब्रेरी में PM आकर भारत के पुरातन ज्ञान और किताबों की ओर लौटने का संदेश दे सकते हैं।

इस लाइब्रेरी में श्रीमद्भागवत गीता का एक हजार साल से पहले की हाथ से लिखी हुई पांडुलिपि (मैनुस्क्रिप्ट) मौजूद है। यह दुनिया की सबसे पुरानी श्रीमद्भगवत गीता की पांडुलिपि बताई जाती है। यहां 1 हजार साल से भी ज्यादा पुराने 95 हजार संस्कृत ग्रंथों को मिलाकर कुल करीब 2 लाख किताबें सहेज कर रखी गईं हैं।

बता दें कि, 1791 में वाराणसी के कर्णघंटा मुहल्ले स्थापित हुई लाइब्रेरी को 109 साल पहले संपूर्णानंद कैंपस के अंदर शिफ्ट किया गया था। प्रिंस ऑफ वेल्स 1907 में संपूर्णानंद कैंपस में आए थे और इस सरस्वती भवन का फाउंडेशन रखा था। यह भवन 1914 में छात्रों के लिए खोला गया और आज 109 साल बीत चुके हैं। संपूर्णानंद में बनने के बाद 1914 में सुप्रसिद्ध विद्वान पं. गोपीनाथ कविराज इस लाइब्रेरी के पहले लाइब्रेरियन हुए। इस लाइब्रेरी को चुनार के पत्थरों से तराशकर बनाया गया है, जो कि एक हेरिटेज बिल्डिंग है।

सरस्वती भवन लाइब्रेरी में कई दुर्लभ स्क्रिप्ट्स हैं, जिसमें स्वर्णपत्र, लाक्षपत्र पर कमवाचा (वर्मी लिपि) और स्वर्ण अक्षरों से लिखा रास पंचाध्यायी शामिल है। इसके अलावा, आयुर्वेद, ज्योतिष, वेद, कर्मकांड, वेदांत, सांख्य, योग, धर्मशास्त्र, पुराणेतिहास, मीमांसा, न्याय वैशेषिक, साहित्य और व्याकरण के करीब 1 हजार साल तक पुरानी पांडुलिपियां हैं।

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Ankita Yaduvanshi

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