Modi Govt praises PV Narasimha Rao and Manmohan Singh: लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के लिए महज 2 दिनों का समय बचा है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जमीनी प्रचार तेज कर दिया है। पीएम मोदी देश के अलग-अलग राज्यों में चुनावी रैलियां और जनसभाएं कर रहे है। इस दौरान पीएम विपक्षी नेताओं और पूर्व की सरकारों पर जमकर हमला बोल रहे हैं, लेकिन इस बीच मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की जमकर तारीफ की है।

दरअसल, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साल 1991 में 'लाइसेंस राज' को खत्म करने और आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत करने के लिए कांग्रेस के दोनों नेताओं की सराहना की है। केंद्र सरकार ने हाल ही में नरसिम्हा राव को देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न'से सम्मानित किया था।

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 9 जजों की पीठ को बताया कि नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों के बाद कंपनी कानून और एमआरटीपी अधिनियम सहित कई कानूनों को उदार बनाया गया। इनके बाद अगले तीन दशकों में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेतृत्व वाली सरकारों ने उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 में संशोधन करना आवश्यक नहीं समझा।

तुषार मेहता पीठ के एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें जस्टिस हृषिकेश रॉय, एएस ओका, बीवी नागरत्ना, जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, उज्ज्वल भुइयां, सतीश सी शर्मा और ऑगस्टीन जी मसीह भी शामिल थे। 9 जजों की पीठ ने आईडीआरए, 1951 की तीखी आलोचना करते हुए इसे पुरातनपंथी बताया था. यह कानून प्रतिगामी और लाइसेंस राज के दिनों को प्रतिबिंबित करने वाला प्रतीत हुआ।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि परिवर्तन की बयार आईडीआरए को छू नहीं पाई. इस वजह से केंद्र को उद्योगों के पूरे स्पेक्ट्रम पर व्यापक नियंत्रण मिल गया, हालांकि समय बीतने के साथ केंद्र सरकार ने उनमें से अधिकांश को विनियमित करना छोड़ दिया. उन्होंने कहा, केंद्र द्वारा उद्योगों पर नियंत्रण छोड़ने का मतलब यह नहीं है कि उसके पास उन्हें विनियमित करने की शक्ति नहीं है।

Ankita Yaduvanshi

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