वाराणसी। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। वहीँ बीजेपी भी इसके लिए तैयारियों में जुटी हुई है। घोसी विधानसभा उप चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद बीजेपी पूर्वांचल में अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने जा रही है। इसकी शुरुआत पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र से करने की तैयारी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, वाराणसी की तर्ज पर ही पूर्वांचल के अन्य जिलों के जिलाध्यक्ष का नाम तय किया जाएगा। वाराणसी में जल्दी ही नए जिलाध्यक्ष की घोषणा की जाएगी। नये जिलाध्यक्षों का नाम फाइनल हो चुका है। इसी साल मार्च महीने में जब प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने प्रदेश संगठन में बदलाव किया था। इसके बाद से ही हर बार ये चर्चा होती आ रही है कि जल्द नए जिलाध्यक्षों की घोषणा की जाएगी। लेकिन, हर बार चर्चा ठंडे बस्ते में चली जाती है।

भाजपा ने उत्तर प्रदेश को छह क्षेत्रों में बांटा रखा है। इसमें 98 संगठनात्मक जिले हैं। भाजपा ‘पार्टी विद द डिफरेंस’ के नारे को आगे लेकर चलती है। ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के सिद्धांत पर काम करती है। इसीलिए जिलाध्यक्षों के इस बदलाव में ये तय किया गया कि जो जिलाध्यक्ष विधायक, एमएलसी या मेयर बन चुके हैं, या उनके परिवार का कोई सदस्य नगर निगम या नगर पालिका का अध्यक्ष बन गए हैं, तो ऐसे जिलाध्यक्ष को भी उनके पद से हटाकर वहां नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी। ऐसे में वाराणसी समेत 40 से अधिक जिलों के जिलाध्यक्षों का बदला जाना तय है। यहां के जिलाध्यक्ष न सिर्फ एमएलसी बनाये जा चुके हैं, बल्कि उनका दो टर्म का कार्यकाल भी हो चुका है।

पार्टी सूत्रों की मानें, तो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा जिलों में नई टीम तैयार करने जा रही है। खासतौर से लंबे समय से जिलाध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे लोगों को भी बदलने की तैयारी है। जो जिलाध्यक्ष के तौर पर दो टर्म से ज्यादा समय पूरा कर चुके हैं, ऐसे लोगों को भी इस बार बदला जाएगा। उनकी जगह नए, युवा और बेदाग चेहरों को पार्टी मौका देगी। आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से कई जिलों के जिलाध्यक्षों के बदलाव को काफी अहम माना जा रहा है। इस बदलाव के जरिए भाजपा न केवल क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश करेगी, बल्कि जातीय समीकरणों को भी साधने पर उसका फोकस रहेगा। माना जा रहा है कि इस बदलाव में पार्टी कई जिलों में ओबीसी चेहरों को भी मौका दे सकती है।

पार्टी सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोट बैंक की बात करें तो वह सबसे ज्यादा तकरीबन 52 प्रतिशत है। चाहे 2014 के लोकसभा चुनाव रहे हों या फिर 2019 का।।।ओबीसी समाज ने भाजपा का हर चुनाव में साथ दिया है। लगातार भाजपा सत्ता में बनी रही है। इसीलिए अब ओबीसी वोट बैंक को साथ लाने के लिए भाजपा इस बदलाव में भी ओबीसी चेहरों को ज्यादा मौका दे सकती है। भाजपा भले ही 40 से ज्यादा जिलों में नए जिलाध्यक्ष नियुक्त करें, लेकिन घोषणा संगठनात्मक जिलों के जिलाध्यक्षों की प्रदेश से की जाएगी। इसमें जिन जिलों में जिलाध्यक्ष को रिपीट करना है, उसका नाम लिस्ट में रहेगा। बाकी जिलों में जहां बदलाव होना है, वहां नए अध्यक्ष का नाम घोषित किया जाएगा। लेकिन, पार्टी के प्रदेश इकाई की ओर से सभी जिलों की लिस्ट जारी की जाएगी।

बनारसी नारद

बनारसी नारद

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