वाराणसी। अस्सी घाट पर जहां कपल्स 14 फरवरी यानी वेलेंटाइन डे सेलीब्रेट कर रहे थे वहीँ दखल संस्था द्वारा संस्कृति संध्या का आयोजन किया गया। इसमें उपस्थित वक्ताओं ने नारीवादी…

वाराणसी। अस्सी घाट पर जहां कपल्स 14 फरवरी यानी वेलेंटाइन डे सेलीब्रेट कर रहे थे वहीँ दखल संस्था द्वारा संस्कृति संध्या का आयोजन किया गया। इसमें उपस्थित वक्ताओं ने नारीवादी चेतना के कविताओं का पाठ किया। इसमें लैंगिक भेदभाव मिटाने वाले और समता की बात करने वाले जनगीत गाए गए। कार्यक्रम में विचारोत्तेजक भाषण देते हुए युवतियों ने लैंगिक विमर्श और नारीवाद के कई बड़े सवालों को उठाया।
वक्ता शिवांगी ने कहा की आज 14 फरवरी के दिन को पूरी दुनिया प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाती है। लेकिन इसी समय हमारे आसपास कोई छोटी उम्र का लड़का अपनी किसी हमउम्र लड़की को प्रपोज करता है। लड़की को जिसे की अधिकार है हां या ना में जवाब देने का और वो ' न ' में जवाब देती है। लड़का पिस्तौल निकालता है और लड़की को मार देता है। किसी अन्य घटना में लड़की की फोटो चुराकर वो फोटोशॉप करके सोशल मिडिया पर डाल देता है। कोविड के दौरान हमारी सारी पढ़ाई इंटरनेट पर हुई , व्हाट्सऐप नंबर शेयर हुए, ग्रुप बने। हमारे नंबर सोशल मिडिया पर शेयर कर दिए गए। ये सब बेहद बुरा है। क्या हम इक्कीसवीं सदी में है ? ऐसे ही हम महान और विकसित होंगे ?
सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ता धनंजय ने बताया की ऐसी ही किसी अन्य घटना में लड़की की शादी होती है। दहेज न मिलने के कारण , रंग गोरा न होने के कारण या ऐसे ही किसी कारण को बताकर उसे प्रताड़ित किया जाता है जला कर मार तक डाला जाता है। उसका अपना पति जिसके साथ उसने जिंदगी बिताने के सपने देखे थे, उसके साथ बिस्तर में जबरदस्ती करता है। सीन बदलते रहिये .. किसी अलग समय अलग जगह अन्य घर में बेटा पैदा होता है और बड़े होकर वो खुद अपनी माँ को " औरत हो चुप रहो जितना कहा जाए करो " जैसे लहजे में बात कर रहा होता है। कभी प्रेम पूर्वक कभी बलात ' स्त्री ' इस ढह रहे पारिवारिक सामाजिक ढांचे में दबने और इसे बनाये रखने को अभिशप्त होती है।
छात्रा दीक्षा सिंह ने अपनी कविता में कहा कि वादा करो की चेहरे और जिस्म पर एसिड नही फेंकोगे। दीक्षा की कविता अगर देश का भविष्य बनाना है, तो बेटी को फिर पढ़ाना है, के कविता पाठ को आगे बढ़ाते हुए छात्र धीरज ने अपनी कविता प्रस्तुत किया जिसके “बोल कुछ तो करना ही होगा” कविता पढ़ी।
सामाजिक कार्यकर्ता नीति ने उमड़ते सौ करोड़ (one billion rising) के बारे में बताते हुए कहा की नारीवादी विमर्श को पुरुषो के मानसिक स्वास्थ्य से जोड़ते हुए कहा गया की नारीवाद के वास्तविक आधुनिक विमर्श में महिलाओ की आज़ादी की जो बात जेरे बहस है उसके समानांतर हमे पुरुषो की आज़ादी की बात करनी होगी। पुरुष अपनी मर्दानगी में छिपकर कब तक रहेगा ? ऐसा करते हुए वो अपनी सेक्सुअलिटी अपनी इच्छा अपने सौंदर्यबोध से वंचित रह रहा है और प्रायः बीमार रह रहा है। और अपने साथ साथ पुरे समाज को बीमार बनाए हुए है। इसके बाद कविताओं का पुनः पाठ करते हुए
बातचीत को आगे बढ़ाते हुए सामाजिक कार्यकर्त्री विजेता ने बताया की अख़बार पढ़िए तालिबानी तमीज की पुलिस या ख़ास सोच के उग्रवादी समूह घाट पर बैठे युवक युवतियों को पकड़ कर सार्वजनिक रूप से प्रताडित करते है इन दिनों। मुर्गा बनाते हैं। युवतिया मुंह छिपाती हैं। यह सब क्या है ? एक युवक और युवती टिफिन लेकर धूप में बैठ कर खाना खा रही है , हंस रहें हैं बतिया रही हैं पुलिस उन्हें पकड ले रही है। जिन्हें पकडना है उनके सामने घिघियाते हैं। जो सभ्य और शरीफ हैं उन्हें पकड़ कर बहादुर बन जाती है ये व्यवस्था। ये दोमुंही बाजारवादी व्यवस्था एक तरफ टीवी सिनेमा विज्ञापन में प्यार बेच कर करोड़ो कमा रही है। दूसरी तरफ हँसते खेलते बच्चों को जलील कर रही है। अरे भाई , दो लोग चाहे वो किसी भी जाती धर्म या लिंग के हों वो आपस में मुहब्बत कर रहे हैं तो उसमे जुर्म क्या है ? इसी के साथ “औरत की जिंदगी में इतवार नही आता” कविता से अपनी बात को समाप्त किया |
सामाजिक कार्यकर्ता मैत्री ने कविता “उमड़ती लड़कियां” सुनाते हुए वक्ता ने कहा की अगर ये सब जो मेरे पहले की वक्ता ने कहा है अगर जुर्म है तो खजुराहों को ध्वस्त कर देना चाहिए। ताजमहल को जमींदोज कर देना चाहिए। वात्सायन के काम सूत्र किताब को जला देना चाहिए। काली दास के साहित्य को गंगा में बहा देना चाहिए। ऐंटी रोमियो पुलिस को कृष्ण को गिरफ्तार करने भेज देना चाहिए की अपने से नौ साल बड़ी विवाहित राधा से प्यार कैसे किए वो ? शिव जी मोहिनी से आकर्षित कैसे हुए ? मोहिनी पुरुष थी की स्त्री पता किये बिना शिव जी कैसे आकर्षित हो गए ?
इसी के साथ आरिफ जी ने अपनी कविता खुद अपने "हुस्न को पर्दा बना लेती तो अच्छा था", दिल्ली से शाश्वत ने 'गुजरात नहीं, तुम्हारा जिला' और ' वीडियो कॉल' नामक हिंदी की दो कविताएं सुनाई। नाहिदा ने कहा कि सेल्फ लव बहुत जरूरी है ख़ुद से प्यार करो
डॉ इंदु ने अपनी खुबसूरत कविताओं के साथ कार्यक्रम का संचालन किया और नीति ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शबनम, सना, अनुज, सानिया, हर्शिका, शालिनी, कुणाल, शांतनु, मुरारी, नीरज, साहिल आदि मौजूद रहे।
