वाराणसी। Kashi-Tamil Sangamam में मंगलवार को तमिलनाडु का प्रसिद्दकार्तिकई दीपम दीपोत्सव मनाया गया। बीएचयू स्थित कार्यक्रम स्थल एम्फीथियेटर ग्राउंड में एनएसएस के स्वयं सेवकों एवं काशीवासियों द्वारा 51 सौ दीप…

वाराणसी। Kashi-Tamil Sangamam में मंगलवार को तमिलनाडु का प्रसिद्दकार्तिकई दीपम दीपोत्सव मनाया गया। बीएचयू स्थित कार्यक्रम स्थल एम्फीथियेटर ग्राउंड में एनएसएस के स्वयं सेवकों एवं काशीवासियों द्वारा 51 सौ दीप जलाया गया ।

बता दें कि दक्षिण भारतीयों द्वारा यह उत्सव बड़े ही धूमधाम और उत्साह से मनाया जाता है। दक्षिण भारतीय समुदाय के लोग विश्व में कहीं भी रहते हैं वह इस उत्सव को मनाते हैं बड़े विशेष तरीके से इस उत्सव को मनाया जाता है। इस उत्सव को कार्तिकई दीपम के नाम से जाना जाता हैं।

पौराणिक कहानियों में इस उत्सव का है उल्लेख

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव विष्णु और ब्रह्मा के सामने प्रकाश की ज्वाला के रूप में प्रकट हुए, जो खुद को सर्वोच्च मानते थे। अपने वर्चस्व का दावा करने के लिए, भगवान शिव ने उन्हें अपना सिर या पैर खोजने के लिए चुनौती दी। विष्णु ने वराह (वराह) का रूप धारण किया और पृथ्वी की गहराई में चले गए लेकिन खोज नहीं पाए। ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और बताया कि उन्होंने तजहम्पु के फूल की मदद से भगवान शिव की पहचान की है।

भगवान शिव ने झूठ को भांप लिया और श्राप दिया कि ब्रह्मा का दुनिया में कोई मंदिर नहीं होगा और उनकी पूजा करते समय थजम्पु फूल का उपयोग नहीं किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन शिव विष्णु के सामने ज्वाला के रूप में प्रकट हुए थे और ब्रह्मा को कार्तिकई दीपम् के रूप में मनाया जाता है।

बीएचयू के प्रोफेसर बाला लाखेन्द्र ने बताया कि यह कार्तिकई दीपम कार्यक्रम में हमारे राष्ट्रीय सेवा योजना के बच्चे दीपजला रहे हैं यह दो सांस्कृतिक केंद्रों का मिलन है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम दोनों राज्यों को संदेश दे रहें कि आज भी हमारे युवा जागरुक है और यह जो काशी तमिल संगमम् के तहत आज कार्तिकई दीपम कार्यक्रम हो रहा है यह एक महत्वपूर्ण एवं सांस्कृतिक चेतना का एक प्रतीक है।

Updated On 6 Dec 2022 8:09 AM GMT
Anurag

Anurag

Next Story