वाराणसी। गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा रचित रामचरितमानस को लेकर इन दिनों देश में हंगामा मचा है। रामचरित मानस पर मचे बवाल के बीच उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक मुस्लिम…

वाराणसी। गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा रचित रामचरितमानस को लेकर इन दिनों देश में हंगामा मचा है। रामचरित मानस पर मचे बवाल के बीच उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक मुस्लिम व्यक्ति की हनुमान भक्ति चर्चा का विषय बनी है। शहर के भेलूपुर इलाके के रहने वाले हाजी इरशाद अली बनारसी ने कपड़े पर गंगा की माटी से हनुमान चालीसा की चौपाइयों को उकेरा है। इरशाद इस हनुमान चालीसा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपना चाहते हैं।

इरशाद अली ने बताया कि कॉटन के दो मीटर कपड़े पर उन्होंने हनुमान चालीसा लिखा है। इसमें उन्हें लगभग चार दिन का वक्त लगा है। इरशाद ने हनुमान चालीसा को लिखने से पहले उसे पढ़ा और समझा है। उसके बाद उन्होंने इसकी चौपाइयों को कपड़े पर उकेरा है। उन्होंने बताया कि हनुमान चालीसा में दोहा और चौपाई बहुत ज्यादा नही है। लगभग 100 लाइन है और 52 श्लोक होंगे। इसको लिखने में यदि 8 घंटे प्रतिदिन लगाया जाए तो 3 दिन में पुरा होगा। तो मुझे 4 दिन लगे इसे लिखने में , इसमें बहुत ही सोच समझकर मैने कपड़े का इस्तेमाल किया है। क्योंकि बहुत से कपड़ो पर रंग नही चढ़ता है। तो मैने कॉटन के कपड़े पे चारों तरफ नारंगी रंग की बनारसी साड़ी की कोटिंग की है जिसमें कमल का फूल बना हुआ है।
गंगाजल और हैंड मेड गोंद को मिलाकर मैने इस हनुमान चालीसा को लिखा है। उन्होंने बताया कि वो बाढ़ के वक्त गंगा की माटी को घर लेकर आये थे। उसे छान कर सुखाया था। कपड़े पर हनुमान चालीसा लिखने से पहले मै रामभक्त हनुमान को भी याद करता हूं।
इसे लिखने का मेरा कोई व्यक्तिगत लाभ उद्देश्य नही है। मैने सैकड़ों लोगो को कुरान लिखकर ताबीज के रुप में दी है। मै बहुत आध्यात्मिक विचार धारा का हु। बस इतना चाहता हूं कि ये हनुमान चालीसा पार्लियामेंट में लगाया जाए। यदि इसे सीएम योगी आदित्यनाथ काशी विश्वनाथ कारीडोर या अयोध्या मंदिर में भेंट कर दे तो भी हमे कोई ऐतराज नहीं है। हमारा कोई राजनीतिक उद्देश्य नही है।
