वाराणसी। शहर में लगातार बढ़ रहे डेंगूं के मामलों से स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है। अब किसी डेंगू रोगी की क्लिनिकल रिपोर्ट देखने के बाद ही उसे प्लेट्लेट्स मिलेगा। ऐसा कदम इसलिए भी उठाया गया है ताकि प्लेट्लेट्स की कालाबाजारी को रोका जा सके। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने निजी चिकित्सालयों को सख्त निर्देश जारी किया है।

CMO ने डेंगू के संभावित प्रसार और प्लेटलेट की जरूरी मांग के बारे में चिकित्सकों से चर्चा की और सभी निजी चिकित्सालयों को यह निर्देश दिया है कि जब वे ब्लड बैंक को प्लेटलेट के लिए मांग भेजें, तो मरीज की क्लीनिकल दशा और वर्तमान प्लेटलेट संख्या के साथ संलग्न करें। इसके साथ ही राजकीय ब्लड बैंक और निजी ब्लड बैंक के प्रभारी को कहा गया है कि गंभीर अवस्था के मरीज़ों को प्राथमिकता के आधार पर प्लेटलेट्स दी जायें।

सीएमओ ने कहा कि जनपद में फीवर रोगियों की संख्या बढ़ रही है और इस पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने राजकीय और निजी क्षेत्र के ब्लड बैंकों से सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) या प्लेटलेट्स के लिए रेफरल करने का निर्देश दिया है।

इससे एसडीपी और प्लेटलेट्स की कालाबाजारी को रोकने की कोशिश की जा रही है। इस उद्देश्य के लिए, एसीएमओ डॉ. एके मौर्य को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है ताकि वह नियमित रूप से जनपद के ब्लड बैंकों का पर्यवेक्षण कर सकें।

20 फॉर्मुला का रखें ध्यान

सीएमओ ने कहा कि डंगू रोगियों का इलाज करते समय चिकित्सकों को 20 का फॉर्मूला याद रखना चाहिए यानी 20 से अधिक पल्स रेट में वृद्धि, बीपी का 20 से अधिक गिरना, 20 से कम के निचले और ऊपरी बीपी के बीच का अंतर और 20 से अधिक रक्तस्त्रावी धब्बों का होना टर्निकेट टेस्ट के बाद हाथ पर दिखें तो यह जोखिम वाली स्थिति का सुझाव देते हैं।

Rishika Kukrety

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