वाराणसी। भक्त-भक्ति और आस्था के संगम के लिए मशहूर शहर बनारस में इन दिनों ठण्ड ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। पहाड़ी इलाकों में बर्फ़बारी ने बनारस को…

वाराणसी। भक्त-भक्ति और आस्था के संगम के लिए मशहूर शहर बनारस में इन दिनों ठण्ड ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। पहाड़ी इलाकों में बर्फ़बारी ने बनारस को ठण्ड से परेशान कर दिया है ऐसे में लोग ऊनी वस्त्रों का सहारा ले रहे हैं। वहीं धार्मिक आस्था के शहर में भक्त अपने ईष्ट को भी स्वेटर, शाल और गर्म कपड़े पहना रहे हैं। ऐसा सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि लोग अपने घरों में भी कर रहे हैं। भगवान् गर्म वस्त्र धारण कर भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। उन्हें ठण्ड न लगे इसलिए उनके विग्रह के आस-पास हीटर का भी इंतजाम किया गया है।

काशी प्रसिद्द बड़ा गणेश मंदिर में विघ्नहर्ता को रजाई और शाल ओढ़ाई गयी है ताकि उन्हें ठण्ड न लगे। मंदिर के पुजारी ने बताया कि हर वर्ष कार्तिक माह की बैकुंठ चतुर्दशी से भगवान् को गर्म कपड़ा पहनाना शुरू किया जाता है। यह सिलसिला बसंत पंचमी तक चलता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह इंसानों को ठण्ड लगती है। वैसे ही भगवान् को भी ठण्ड लगती है। यह भावना की पूजा है। इसके अलावा श्री राम जानकी मंदिर, चिंतामणि गणेश और प्रसिद्ध गौड़ीया मठ में भी भगवान् के विग्रहों को गर्म कपड़े पहनाये गए हैं साथ ही हीटर और ब्लोवर का इंतजाम किया गया है।

प्रसिद्ध गौड़ीया मठ में भगवान श्री कृष्ण राधा और चैतन्य महाप्रभु के साथ लड्डू गोपाल को भी टोपी मोजा और हाथ में दस्ताना पहनाया गया है। मंदिर के पुजारी मनोहर कृष्ण दास ने बताया कि यह एक सेवा का भाव है, जिस तरह लोगों को ठंड लगती है। उसी तरह हम लोग इस भाव से कि भगवान को ठंडी न लगे, इसलिए गर्म कपड़े पहनाते हैं। बालक की तरह भगवान की सेवा करते हैं। गौड़ीया मठ में भगवान को रोज अलग-अलग ऊनी वस्त्र से शृंगार किया जाता है और नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।

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Updated On 22 Dec 2022 5:13 AM GMT
Anurag

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