वाराणसी।  वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सहयोग से एवं महिलाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास और उपयोगिता  कार्यक्रम के अंतर्गत  बसनी  स्थित साईं इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट में “निःशुल्क स्वरोजगार…

    

वाराणसी। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सहयोग से एवं महिलाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास और उपयोगिता कार्यक्रम के अंतर्गत बसनी स्थित साईं इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट में “निःशुल्क स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यशाला” आयोजित की गई | कार्यशाला की मुख्य अतिथि फैशन डिजाइनर एवं फैशन और स्टाइल एजुकेशन सोसाइटी की अध्यक्ष मंजूषा श्रीवास्तव ने कहा कि ये ख़ुशी की बात है कि साईं इंस्टिट्यूट द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न प्रकार के कोर्सो के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रो की महिलाये तथा हमारी लुप्त हो रही पारंपरिक आर्ट एवं क्राफ्ट को संवर्धित, संरक्षित करते हुए स्वरोजगार को अपना रही है .

कार्यशाला को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक अजय सिंह ने कहा कि यहाँ से अब तक एक हजार से ज्यादा महिलाओ को स्वावलंबी बनाया है | ये महिलाएं खुद का रोजगार कर हर महीने लगभग 10 से 15 हजार रुपए कमाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने के साथ ही राजस्व में वृद्धि कर रही हैं। कई महिलाओं के रोजगार में उनके पति भी साथ दे रहे हैं। फिलहाल संस्थान का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को स्वावलंबी बनाना है। संस्थान द्वारा अब 100 लोगों को हर माह मिलेगा स्वरोजगार प्रशिक्षण, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है।

वही संस्थान से जुडी दीक्षा सिंह ने बताया कि इस तरह के प्रशिक्षण हर महीने वाराणसी के 3 विकास खंडो बडागांव, पिंडरा एवं काशी विद्यापीठ में फ्री कैंप चलता है | इसके आलावा स्वयं सहायता समूहों कि मांग पर हमारे ट्रेनर उन्ही के यहाँ जाकर के महिलाओ को प्रशिक्षित किया जाता है | कैंप में ओर से ही लड़कियों और महिलाओं को हेंडीक्राफ्ट, टेक्सटाइल, टाई एंड डाई एवं घरो में पड़ी बेकार वस्तुओ से उत्पादो के साथ-साथ ही दूसरे तरह के क्रॉफ्ट बनाने की जानकारी दी जाती है। कैंप में ट्रेनिंग के दौरान लड़कियों और महिलाओं को फ्री में सामान उपलब्ध करवाया जाता है। कैंप में कला की बारीकियों को सिखाने के साथ ही उससे जुड़े रोजगार के बारे में बताया जाता है। इस दौरान सरकारी अधिकारी महिलाओ को सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जाने वाली योजना, उद्यमिता एवं बाज़ार के बारे में भी बताते हैं। एक महीने की विशेष ट्रेनिंग के बाद लड़की और महिलाओं को सर्टिफिकेट दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल महिलाएं रोजगार प्राप्त के लिए कर सकती हैं।


कार्यशाला में उषा कम्पनी की तरफ से क्षमा रानी ने डिजिटल इम्ब्रायडरी मशीन से लोगो व् डिजाइन बनाकर के डेमो भी दिखाया गया |

हुनर-ए-बनारस की जागरूकता कार्यक्रम की इंचार्ज मनीषा सिंह ने बताया कि हुनर-ए-बनारस की तरफ इन महिलाओ के उत्पादों को ऑनलाइन मार्केटिंग के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, जिला स्तर पर लगने वाली प्रदर्शनियों में बाज़ार भी दिया जाता है ताकि इन महिलाओ का उत्साहवर्धन हो सके।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि को संस्थान की तरफ से स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया | कार्यशाला में डिजाइनर अनुपमा दुबे, समरीन फातिमा, अबु अरसी, राजेश कुमार एवं राधेश्याम सहित ग्रामीण महिलाओ ने भाग लिया।

Updated On 17 Nov 2022 8:56 AM GMT
Anurag

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