इस्लामाबाद, 15 मार्च (हि.स.)। पाकिस्तान की सियासत में 'तोशाखाना' इतना चर्चित होगा और ऐसे हालात पैदा कर देगा, यह किसी ने सोचा तक नहीं था। इमरान खान की सरकार गिरना एक अलग वाकया है। मगर यह तोशाखाना मामला उनकी संसद की सदस्यता तक छीन चुका है। चुनाव आयोग ने इसको लेकर बाकायदा सुनवाई की। इमरान अपनी दलीलों से आयोग को संतुष्ट नहीं कर सके। अब इमरान खान के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

दरअसल तोशाखाना कैबिनेट का एक विभाग है। नियम यह है कि यहां अन्य देशों की सरकारों, राष्ट्रप्रमुखों और विदेशी मेहमानों से मिले बेशकीमती उपहारों को रखा जाना बाध्यकारी है। इमरान खान साल 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें अरब और यूरोप के देशों की यात्रा के दौरान वहां के शासकों से महंगे गिफ्ट मिले। नियमानुसार इमरान ने इनको तोशाखाना में जमा कराया। मगर बाद में इमरान ने तोशाखाना से इन्हें सस्ती कीमत पर खरीदकर महंगे दाम पर बेच दिया। इस पूरी प्रक्रिया को उनकी सरकार ने बाकायदा कानूनी अनुमति दी थी।

पूर्व प्रधानमंत्री ने चुनाव आयोग को बताया था कि राज्य के खजाने से इन गिफ्ट्स को 2.15 करोड़ रुपये में खरीदा गया और इन्हें बेचकर उन्हें करीब 5.8 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। इन गिफ्ट्स में एक ग्राफ घड़ी, कफलिंक का एक जोड़ा, एक महंगा पेन, एक अंगूठी और चार रोलेक्स घड़ियां सहित कई अन्य उपहार थे। इमरान खान को उनके साढ़े तीन साल के प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल के दौरान दुनिया के कई नेताओं से 14 करोड़ रुपये से अधिक के 58 गिफ्ट मिले थे। उन पर एक इल्जाम यह भी है कि उन्होंने आयकर रिटर्न में इन गिफ्ट्स की बिक्री का ब्योरा पेश नहीं किया इसी मामले में सुनवाई के चलते उन्होंने न्यायाधीश पर एक प्रतिकूल टिप्पणी की है, वह भी उनकी गिरफ्तारी का कारण बन रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकुंद

Updated On 22 March 2023 12:15 PM GMT
Agency Feed

Agency Feed

Next Story