काठमांडू, 18 मार्च (हि.स.)। नेपाल और भारत बिहार के स्वामित्व वाले ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग कर नेपाल को कई भारतीय राज्यों को बिजली निर्यात करने में सक्षम बनाने के लिए एक संरचना तैयार करने पर सहमत हुए हैं।

शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई द्विपक्षीय पावर एक्सचेंज कमेटी की 15वीं बैठक में उस संरचना को तैयार करने पर दोनों पक्ष सहमत हुए हैं। नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (एनईए) के एक बयान में कहा गया है कि प्रबंध निदेशक कुलमन घीसिंग और भारत के केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के सदस्य (बिजली व्यवस्था) अशोक कुमार राजपूत के बीच समझौता हुआ है जिसमें एक ऐसी संरचना तैयार करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत बिहार के ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग नेपाल की बिजली को भारत की सेंट्रल ग्रिड प्रणाली तक पहुंचाने में मदद मिले। इससे नेपाल की बिजली को भारत के राज्यों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।

इस निर्णय से ऊर्जा की कमी वाले देश में नए बाजारों को टैप करने के लिए एनईए के लिए रास्ते खुलने की उम्मीद है। एनईए के एक बयान में प्रबंध निदेशक घीसिंग के हवाले से कहा गया है कि यह बारिश के मौसम में नेपाल की अधिशेष ऊर्जा के लिए अतिरिक्त बाजार सुनिश्चित करेगा। समिति ने 137 केवी लाइन के माध्यम से बिजली आयात और निर्यात के लिए 7.21 रुपये (11.54 रुपये) प्रति यूनिट की दर को भी अंतिम रूप दिया। घीसिंग ने कहा कि दर तय कर दी गई है और यह आयात और निर्यात दोनों पर लागू होगी।

वर्ष 2019-2010 में तय रेट के बाद से रिवाइज नहीं किया गया। भारतीय पक्ष महंगाई का हवाला देते हुए आयात के लिए सालाना 5.5 फीसदी अतिरिक्त शुल्क नेपाल पर लगाता रहा है। पूर्व में किए गए बिलिंग को समायोजित करने पर भी सहमति हुई है। इस फैसले से नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी को 49.6 करोड़ रुपये का लाभ होगा।

नेपाल कुशहा-कटैया और रक्सौल-परवानीपुर संचरण लाइनों के माध्यम से बिहार से जुड़ा हुआ है। ऊर्जा सचिव स्तर की संयुक्त संचालन समिति की पिछले महीने हुई 10वीं बैठक में इस साल मार्च-अप्रैल तक दोनों सीमापार लाइनों के दूसरे सर्किट के निर्माण को पूरा करने पर सहमति बनी थी।

हिन्दुस्थान समाचार / दीपेश

Updated On 22 March 2023 12:12 PM GMT
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