Vat Savitri 2023 : भारतीय संस्कृति के हिंदू सनातन धर्म में विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत-उपवास रख कर पूजा-अर्चना करने की धार्मिक व पौराणिक परम्परा है। अखण्ड सौभाग्य व सुख की कामना के साथ वट सावित्री व्रत (Vat Savitri 2023) ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक किया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु व मनोरथ की पूर्ति के लिए रखती हैं। इसमें सत्यवान, सावित्री के साथ ही यमराज की भी पूजा की जाती है।

जानिए व्रत के नियम

प्रसिद्ध ज्योतिषीविद् पं. विमल जैन ने बताया कि (Vat Savitri 2023) में त्रयोदशी से अमावस्या तक व्रत रखने का नियम है। त्रयोदशी तिथि के दिन ब्रह्म मुहुर्त से लेकर प्रात:काल तक वट सावित्री व्रत का संकल्प लेना चाहिए। तीन दिन के व्रत न रखने की स्थिति में मात्र अमावस्या तिथि के दिन पूर्ण व्रत रख कर प्रतिपदा तिथि के दिन व्रत का पारण विधिविधान पूर्वक किया जाता है।

इस बार त्रयोदशी तिथि बुधवार 17 मई को है। इस दिन व्रत का प्रथम संयम रखा जायेगा। चतुर्दशी तिथि गुरुवार 18 मई को व्रत का दूसरा संयम रहेगा। शुक्रवार 19 मई को अमावस्या तिथि के व्रत का तृतीय संयम व अंतिम दिन रहेगा। लगातार तीन दिनतक व्रत रखने की स्थिति में प्रथम दिन त्रयोदशी की रात्रि में भोजन, द्वितीय दिन यानि चतुर्दशी को अयाचित भोजन तथा अंतिम दिन अमावस्या तिथि को श्रद्धा व भक्ति के साथ पूर्ण उपवास रख कर व्रत की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है।

वट वृक्ष की सात बार करें परिक्रमा

पं. विमल जैन ने बताया कि इस दिन वट वृक्ष की विधि विधान पूजा अर्चना करके वट वृक्ष को जल से सिंचन करना चाहिए। वटवृक्ष को रोली का तिलक लगा कर चावल, भिगोया हुआ चना, गुड़-हल्दी आदि अर्पित करना चाहिए। अखण्ड सौभाग्य की कामना को मन में लेकर हल्दी से रंगे हुए कच्चे सूत को वट वृक्ष पर लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करना चाहिए।साथ ही सावित्री व सत्यवान की कथा का श्रवण करना चाहिए।

Ankita Yaduvanshi

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