वाराणसी। आज अनंत चतुर्दशी से वाराणसी (Varanasi) के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला (Ramnagar Ramleela) का मंचन शुरू हुआ, जो पूरे एक महीने तक चलेगा। शाम पांच बजे रामबाग लीला स्थल में रावण जन्म और रामावतार की भविष्यवाणी के साथ ही दुनिया के अनूठे रंगमंच का पर्दा उठा।



रामनगर लीला में पहले दिन दोहों के साथ लीला का मंचन शुरु होता है। सर्वप्रथम रावण का जन्म हुआ, उसने जन्म लेते ही ब्रह्मा जी से वर मांगा कि वानर और मनुष्य को छोड़कर वो किसी के हाथों न मरे। इसी वरदान के साथ उसके स्वर्ग के देवताओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। कुबेर पर आक्रमण कर उसका पुष्पक विमान छीन लिया। रावण के आतंक से भयभीत होकर देवराज इंद्र देवी-देवताओं के साथ बैकुंठ के लिए पलायन कर गए।

रावण के अमरत्व का वरदान हासिल करने के बाद कुंभकरण ने 6 महीने सोने और 1 दिन जागने का वरदान मांगता है, लेकिन कुंभकरण से भगवान इंद्र देव काफी ईर्ष्या रखते थे क्योंकि उनको डर था कि वो भगवान ब्रह्मा से इंद्रासन ना मांग ले, ऐसे में जब कुंभकर्ण ब्रह्म देव से वर मांग रहा था, तब इंद्र घबरा गए और माता सरस्वती की शरण में गए और माता से उन्होंने निवेदन किया कि तीनों भाई ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या कर रहे है, कुंभकरण की इच्छा है कि वो बह्रा जी से इंद्रासन मांगेगा, तो आप उसके जीव्हा पर विराजमान हो जाए और इंद्रासन की जगह उसके मुख से निद्रासन निकल जाए।



माता सरस्वती ने इंद्र की बात मानकर कुंभकर की जीव्हा पर विरजामान हो गई और जब ब्रह्मा जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए, तो कुंभकरण से वरदान मांगने को कहा तभी उसके मुख से निकला हे पिता मुझे निद्रासन दिजिए। वहीं रावण ने ये सुनकर बह्रा जी से निवेदन किया की प्रभु पितामह ऐसे जीवन का क्या मतलब की वो पूरे जीवन सोया रहे। भातृ प्रेम को देखकर ब्रह्म वरदान दिया कि 6 महीना सोएगा और 1 दिन जागेगा। वहीं विभीषण ने भगवान के चरणों में अनुराग का वर्णन मांगते है।

मेघनाद तो इन्द्र को ही पकड़ लाया। इसके बाद उसे इंद्रजीत का अलंकरण मिला। लीला के एक दृश्य में ब्रह्मा जी लंकिनी से कहते हैं कि राक्षसराज रावण लंबे समय तक लंका पर राज करेगा। लेकिन एक दिन ऐसा आएगा, जब एक वानर का तुम लोग अपमान करोगे और वह लंका को जला देगा।



इधर, रावण के आतंक से धरती कांपने लगती है। गाय के वेश में पृथ्वी ब्रह्मा के पास पहुंच कर रावण से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाती है। सभी देवता क्षीर सागर में प्रवास कर रहे भगवान विष्णु के पास पहुंच कर रक्षा की गुहार लगाते हैं। तभी अकाशवाणी होती है कि आप लोग डरें नही। आप के कल्याण के लिए हम मनुष्य रुप में धरती पर अवतार लेंगे। मनु और शतरूपा ने इस जन्म में अयोध्या के राजा दशरथ और कौशल्या के रूप में जन्म लिया है। हम उन्ही के यहां अवतार लेंगे। इसी के साथ भव्य क्षीर सागर की झांकी सजती है और आरती होती है। इस नयनाभिराम भव्य झांकी के दर्शन के लिए लीला प्रेमियों का जैसे सैलाब उमड़ पड़ा था।

रामबाग पोखरे के चारों तरफ केवल और केवल लीला प्रेमी ही दिख रहे थे। हाथ में टेढ़ी-मेढ़ी डिजाइन वाली छड़ियां, छाते लिए कुरता-धोती, अंगौछा धारण किए, मानस की पोथी लिए लोगों ने झांकी और लीला का अवलोकन किया। इसी के साथ प्रथम दिन की लीला को विराम दिया गया।

काशीराज को मिला गार्ड ऑफ ऑनर

UNESCO की इंटेजिबल हेरिटेज रामनगर की रामलीला की पहली शाम रामनगर किले के सामने बग्घी पर लक्ष्मी-नारायण को विराजमान किया गया। काशीराज परिवार के सदस्य अनंत नारायण सिंह रामनगर के किले से बग्घी की शाही सवारी करते हुए निकले। उनका हर-हर महादेव की गूंज के साथ स्वागत हुआ। अनंत नारायण की शाही सवारी चौक पहुंची और फिर बाद रामबाग में रुकी। 36वीं वाहिनी PAC के जवानों की टुकड़ी ने अनंत नारायण सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

Updated On 28 Sep 2023 5:00 PM GMT
Ankita Yaduvanshi

Ankita Yaduvanshi

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