वाराणसी। वासंतिक नवरात्र (Chaitra Navratri 2023) का आज नौवा और अंतिम दिन है, जो माता सिद्धिदात्री को समर्पित है। मां का अति प्राचीन मंदिर काशी के मैदागिन स्थित गोलघर क्षेत्र में सिद्धिमाता गली में स्थित है। मां के दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्धालु कतारबद्ध हैं। पुराणों के अनुसार दुर्गा मईया जगत के कल्याण के लिए नौ रूपों में प्रकट हुई और इन रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री का।

मां सिद्धिदात्री कमल आसन पर विराजमान रहती हैं। मां की सवारी सिंह हैं। देवी ने सिद्धिदात्री का यह रूप भक्तों पर अनुकम्पा बरसाने के लिए धारण किया है। देवतागण, ऋषि-मुनि, असुर, नाग, मनुष्य सभी मां के भक्त हैं। देवी जी की भक्ति जो भी हृदय से करता है मां उसी पर अपना स्नेह लुटाती हैं।



मंदिर के पूजारी बच्चा लाल मिश्र ने बताया कि नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री के दर्शन की जाती है। नवरात्र के अंतिम दिन मां के दर्शन का विधान है। उन्होंने बताया कि जो भक्त 9 दिनों में मां के अन्य रूपों का दर्शन नहीं कर पाते हैं। वो अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री का दर्शन कर सभी दिनों के दर्शन का पुण्य प्राप्त करते हैं।

उन्होंने बताया कि माता सिद्धि और सम्पूर्णता की प्रतीक है। इनके दर्शन मात्र से मनोकामनाएं बिना विघ्न और बाधा के पूर्ण हो जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने भी इन्ही की कृपा से सिद्धियां प्राप्त की थीं और वे अर्धनारीश्वर के रुप में स्थापित हुए थें। माता सिद्धिरात्री चतुर्भुज और सिंहवाहिनी हैं।

Updated On 30 March 2023 2:55 AM GMT
Ankita Yaduvanshi

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