वाराणसी। आज शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है। आज चतुर्थ तिथि पर देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्मांडा देवी के दर्शन पूजन का विधान है। इन्हें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में चौथा रुप माना गया है। काशी में देवी कूष्मांडा का मंदिर दुर्गाकुंड इलाके में स्थित है।

माता के दर्शन के लिए देर रात से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। भक्त माता को नारियल, चुनरी, भोग, प्रसाद, और श्रृंगार का सामान अर्पित करके शीश नवा रहे है।

जानें पौराणिक कथा

शारदीय नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर देवी के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन करने से मनुष्य के समस्त पापों का क्षय हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है। कि अपनी मंद मुस्कान से पिंड से ब्रहमांड तक का सृजन देवी ने कूष्मांडा स्वरूप में ही किया था। देवी के कुष्मांडा स्वरूप के दर्शन पूजन करने रोग और शोक का हरण होता है साथ ही साथ यश और धन में भी अपेक्षित वृद्धि होती है।

काशी में देवी के प्रकट होने की कथा राजा सुबाहु से जुड़ी हुई है। काशी में देवी देवी कुष्मांडा का मंदिर दुर्गाकुंड इलाके में विशाल कुंड के निकट है। माना जाता है कि इस कुंड का सीधा संबंध मां गंगा से है। इसका जल कभी नहीं सूखता है।

Ankita Yaduvanshi

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