कल रावण जन्म और रामावतार की भविष्यवाणी के साथ रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला शुरु हुई थी। आज लीला के दूसरे दिन प्रभु श्री राम ने अपने तीन अन्य भाइयों के साथ जन्म लिया। एक साथ चार बच्चों की किलकारियों से आयोध्या नगरी गूंज उठी। कुछ ऐसे ही प्रसंग से रामलीला का दूसरे दिन मंचित किया गया। मंचन का केंद्र आज अयोध्या नगरी थी।

अयोध्या के राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ के पास पहुंचते हैं। उनसे अपने मन की व्यथा कहते हुए बिलख पड़ते हैं। कहते है कि उम्र का चौथापन आ गया।, लेकिन कोई संतान न होने से मन बड़ा उदास रहता है। तब वशिष्ठ ने उन्हें समझाते हुए कहा कि पूर्व जन्म में तुम्हारा नाम मनु और कौशल्या का नाम सतरूपा था। तुम लोगों ने भगवन्त को अपना पुत्र होने का वर मांगा था। परमात्मा ने अपने अंशों समेत अवतार लेने का वर दिया है। धीरज रखो तुम्हें चार पुत्र होंगे। वशिष्ठ की सलाह पर राजा दशरथ पुत्रेष्टि यज्ञ करते हैं। अग्निदेव प्रकट हो उन्हें एक हव्य सौंप उसे तीनो रानियों को बांटने को कहते हैं। दशरथ वैसा ही करते हैं। चतुर्भुज भगवान की झांकी होती है। देवतागण और कौशल्या उनकी स्तुति करती हैं। श्रीराम कहते हैं कि तुमने हमारे जैसा पुत्र मांगा था उसे सत्य करने के लिए हम तुम्हारे घर में प्रकट हुए हैं।

कौशल्या उनसे यह रूप छोड़ बाल लीला करने का आग्रह करती हैं। श्रीराम बाल रूप धारण कर रोने लगते हैं। अयोध्या में खुशियां छा जाती है। बैंड बजाए जाते है। बधाई गीत गाये जाते हैं। राजा दशरथ ब्राह्मणों को दान देते हैं। गुरु वशिष्ठ चारों बच्चों का नाम करण श्रीराम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के रूप में करते हैं। चारों बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार होता है। गुरुकुल में शिक्षा सम्पन्न होती है।

श्रीराम एक हिरण का शिकार कर के राजा दशरथ को बताते हैं कि इसे मैंने मारा है। इसके बाद कौशल्या चारों भाइयों की आरती उतारती है। इसी के साथ दूसरे दिन की लीला को विश्राम दिया जाता है।

Ankita Yaduvanshi

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