हिन्दू धर्म में, शारदीय नवरात्रि को विशेष महत्व प्राप्त है। इसकी शुरुआत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है, इस बार यह शुभ तिथि 15 अक्टूबर दिन रविवार को है। नवरात्रि के पहले दिन है घट स्थापना यहाँ कलश स्थापना के बाद ही, मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है और लोग व्रत करते हैं। कुछ नवरात्रि की प्रतिपदा और अष्टमी का व्रत रखते हैं, जबकि कुछ लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। नवरात्रि के दसवें दिन विजयादशमी मनायी जाती है, जिसे दशहरा भी कहा जाता है। आइये जानते हैं शारदीय नवरात्रि का महत्व और कलश स्थापना का मुहूर्त।

शारदीय नवरात्रि का धार्मिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पहले चैत्र नवरात्रि बहुत धूम धाम से मनाई जाती थी, लेकिन भगवान राम के रावण पर विजय के बाद वे चैत्र नवरात्रि का इंतज़ार नहीं करना चाहते थे। इसलिए, उन्होंने आश्विन मास की प्रतिपदा को दुर्गा पूजा आयोजित की, जिससे शारदीय नवरात्रि की परंपरा शुरू हुई। भगवान श्रीराम ने दुर्गा पूजा और नवरात्रि का व्रत किया, यह देवी भागवत पुराण भी सूचित करता है। इसके अलावा आश्विन मास में, मां दुर्गा ने महिषासुर को हराया, नौ दिन तक युद्ध किया और दसवें दिन राक्षस को वध किया, इसलिए नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा शक्ति के रूप में की जाती है।

इसलिए कहा जाता है शारदीय नवरात्रि

दरअसल, आश्विन मास में शरद ऋतु की शुरुआत होती है, इसलिए उसकी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस अवसर पर घरों में मां दुर्गा की पूजा और व्रत का आयोजन होता है। भक्तों की मनोकामनाएं सच्चे मन से पूजा अर्चना से पूरी होती हैं और मां दुर्गा का आशीर्वाद भी बना रहता है। इस नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा शक्ति के रूप में की जाती है। पश्चिम बंगाल दुर्गा पूजा का उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

बता दें कि शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 दिन रविवार से शुरू हो रहे हैं और 23 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार को समाप्त हो रहे हैं। साथ ही 24 अक्टूबर को विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ

• 14 अक्टूबर, रात 11 बजकर 24 मिनट से शुरू

आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि का समापन

• 15 अक्टूबर, दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक

ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है।

कलश स्थापना का मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मतलब की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा शुरू होती है। शक्ति पूजा से पहले मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है। ऐसे में कलश स्थापना के लिए 46 मिनट का समय दिया गया है।

नवरात्रि में इस दिन करें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा

• नवरात्रि का पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा - 15 अक्टूबर 2023

• नवरात्रि का दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा - 16 अक्टूबर 2023

• नवरात्रि का तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा - 17 अक्टूबर 2023

• नवरात्रि का चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा - 18 अक्टूबर 2023

• नवरात्रि का पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा - 19 अक्टूबर 2023

• नवरात्रि का छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा - 20 अक्टूबर 2023

• नवरात्रि का सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा - 21 अक्टूबर 2023

• नवरात्रि का आठवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा - 22 अक्टूबर 2023

• नवरात्रि का नौवें दिन मां महागौरी की पूजा - 23 अक्टूबर 2023

• विजयदशमी या दशहरा पर्व - 24 अक्टूबर 2023

साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है

पहला चैत्र मास में होता है, जिसे वासंतीय नवरात्रि कहते हैं, दूसरा आश्विन मास में, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं। इसके अलावा, दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं, जो गृहस्थ जीवन वालों के लिए नहीं होतीं। ये दोनों नवरात्रि आषाढ़ माह और माघ माह में होतीं हैं। गुप्त नवरात्रि की पूजा ऋषि, तंत्र साधना करने वाले करते हैं। वहीं जनसामान्य के लिए वासंतीय नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि होतीं हैं। इन नवरात्रियों को मनाने के पीछे ऋतु परिवर्तन भी होता है। गर्मी और ठंड के मौसम के पहले आने से पहले नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

Updated On 10 Oct 2023 4:10 AM GMT
Rishika Kukrety

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