कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस साल नरक चतुर्दशी 11 नवंबर को है। इसे रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय नरकासुर के निमित्त चार दीपक जलाने की परंपरा है। ये दीपक दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए। भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवी-देवताओं के मंदिरों में, मठों में, अस्त्रागारों में, यानि जहां पर अस्त्र आदि रखे जाते हों, बाग-बगीचों में, घर के आंगन में और नदियों के पास दीपक जलाने चाहिए। लिहाजा अपने जीवन में ऊर्जा के साथ ही नयी रोशनी का संचार करने के लिए आस-पास इन सभी जगहों पर दीपक जरूर जलाएं।


जहां नालियां जाम हैं, वहां पीछे से सप्लाई ऑटोमैटिक बंद हो जाती है और पानी का संबंध वरुण देव से है और वरुण का संबंध धन से है, इसीलिए वरुण के निवास समुद्र को रत्नाकर कहा जाता है। लिहाजा घर की नालियां साफ होनी चाहिए, घर का कूड़ा-करकट बाहर होना चाहिए और नालियों पर दीपक जलाएं जाने चाहिए, तभी घर में धन का फ्लो बढ़ेगा। तो आज के दिन नालियों पर दीया तो जलाना ही है, साथ ही नालियों की साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखना जरूरी है।

इसके आलावा नरक चतुर्दशी के दिन सुबह उठकर अपने पूरे शरीर में तेल की मालिश करें और कुछ देर बाद स्नान कर लें।माना जाता है कि, चतुर्दशी को तेल में माता लक्ष्मी और सभी जलों में मां गंगा निवास करती हैं।यही वजह है कि इस दिन तेल मालिश करके जल से स्नान करने की परंपरा है. ऐसा करने से दोनों देवियों का आशीर्वाद मिलता है।साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है।


5 दिन के दीपोत्सव के दौरान सफाई का विशेष महत्व होता है. खासतौर पर नरक चतुर्दशी के दिन माना जाता है कि, इस दिन घर से फालतू का सामान जैसे टूटा-फूटा फर्नीचर, बेकार जूते, फटे-पुराने कपड़े आदि को निकाल देना चाहिए। साथ ही घर के अंधेरे वाले स्थानों पर दीपक जलाकर रोशनी करें। ऐसा करने से घर का वातावरण शुद्ध होगा, जिससे मां लक्ष्मी का आपके घर आगमन होगा।

Rishika Kukrety

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