Lunar Eclipse 2023 : आज शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन साल 2023 का अंतिम चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। चंद्रग्रहण 28 और 29 अक्‍टूबर की मध्‍यरात्रि में लगेगा। जो भारत में भी दिखाई देगा, इसलिए यहां सूतक के नियम भी लागू होंगे। चंद्रग्रहण व इसके सूतक के दौरान कई चीजों का विशेष ध्यान रखना जरुरी होता है। आइए जानते है वाराणसी के आचार्य वैदिक पं अमित कुमार पाण्डेय से इसके बारे में विस्तार से….

भारतीय समय के अनुसार ये ग्रहण (Lunar Eclipse 2023) 28 अक्‍टूबर को रात को 01:05 बजे से लगेगा और रात 02:24 पर समाप्‍त होगा। चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लग जाते हैं। इस हिसाब से सूतक काल 28 अक्‍टूबर की शाम 04:05 बजे शुरू हो जाएगा। आइए अब जानते है इस दौरान किन कार्यों को किया जा सकता है और किसे नहीं।

जानें ग्रहण काल के दौरान क्या करें और क्या न करें

सूतक लग जाने पर भोजन करना व यात्रा इत्यादि वर्जित है।

बालक, वृद्ध, रोगी अत्यावश्यक में पथ्याहार ले सकते हैं। (अति आवश्यक होने पर भी ग्रहण आरंभ होने के 3 घंटे पहले किसी को भी आहार नहीं लेना चाहिए।) भोजन सामग्री जैसे दूध, दही, घृत, आदि में तुलसी रख देना चाहिए।

ग्रहण के पहले बनाया हुआ भोजन ग्रहण के बाद नहीं खाना चाहिए।

ग्रहण नैमित्तिक स्नान, दान, श्राद्धदि जननाशौच/ मरणाच अर्थात सूतक में भी करना ही चाहिए।

ग्रहण मोक्ष के बाद पीने का पानी ताजा ले लेना चाहिए।

गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगा लें।

ग्रहण स्पर्श के समय स्नान,मध्य में होम,श्राद्ध और ग्रहण समाप्त होते समय दान, ग्रहण मोक्ष (समाप्त) हो जाने पर दोबारा स्नान करना चाहिए।

ग्रहण अवधि में श्राद्ध, दान, जप, मंत्र सिद्धि इत्यादि का शास्त्रोक्त विधान है। ग्रहण का सूतक सभी वर्णों को होता है।

ग्रहण के सूतक व मुक्त होने पर जो स्नान नहीं करता वह अगले ग्रहण तक सूतकी (अपवित्र) ही माना जाता है।

ग्रहण की अवधि में किया गया भगवान का मन्त्र जाप कई गुना फल प्रदान करता है।

खुली आंखों से ग्रहण को देखने के लिए विशेषज्ञों की सलाह माननी चाहिए।

ग्रहण जहां से दिखाई देता है, सूतक भी वहीं माना जाता है और धर्म शास्त्रीय मान्यताएं भी वहीं पर लागू होती हैं और उसका शुभाशुभ फल भी वहीं लागू होता है।

भारत के अलग-अलग स्थानों में यह ग्रहण स्थानीय समयानुसार अलग-अलग समय में प्रारंभ व समाप्त होगा। प्रमुख स्थानों का ग्रहण स्पर्श व मोक्ष का समय अलग अलग हो सकता हैं।

चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान

चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए, क्योंकि ग्रहण से निकलने वाली नकारात्मक किरणों का असर शिशु पर पड़ सकता है।

गर्भवती स्त्रियों को ग्रहणकाल के दौरान उठने और बैठने में एहतियात बरतनी चाहिए।

आपको चंद्र ग्रहण के दौरान हाथ या पैर मोड़कर नहीं बैठना चाहिए, इसका असर गर्भ में पल रहे शिशु पर हो सकता है

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर में कहीं भी ताला लगाकर न रखें, चूंकि इसका असर शिशु के अंगों पर पड़ने की संभावना बनी रहती है।

जो स्त्रियाँ गर्भवती है उन्हें चंद्र ग्रहण के दौरान नुकीली चीज़ें जैसे कि चाकू, सुई आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए

गहने या धातु से बनी किसी भी वस्तु जैसे सेफ़्टी पिन, हेयर पिन आदि को चंद्र ग्रहण के दौरान इस्तेमाल न करें।

चंद्र और सूर्य दोनों ही ग्रहों में सोना (शयन) अशुभ माना गया है, यही वजह है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहणकाल के

इस दौरान सोने से बचना चाहिए।

गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए।

ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को कुछ भी खाने-पीने से परहेज़ करना चाहिए।

गर्भ में पल रहे शिशु को त्वचा संबंधित रोगों से बचाने के लिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए।

गर्भवती महिलाएं चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें?

सनातन धर्म में दान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में, चन्द्र ग्रहण के बाद दान अवश्य करना चाहिए।

इस दिन चंद्र ग्रहण के बाद गर्भवती महिलाएं सफ़ेद रंग की वस्तु जैसे दही, दूध, वस्त्र आदि का दान करें।

साथ ही, दान करते समय घर के पितरों का स्मरण करें।

गर्भवती महिलाओं को चन्द्र ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान अपनी जीभ पर तुलसी का एक पत्ता रखकर देव स्तुति (जो भी देवता के स्तोत्रादी आते हो या नाम जप) और पुरुष को हनुमान चालीसा या नामजप करना चाहिए, जिससे चन्द्र ग्रहण का अशुभ प्रभाव बच्चे के ऊपर न पड़ें।

Updated On 28 Oct 2023 8:19 AM GMT
Ankita Yaduvanshi

Ankita Yaduvanshi

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