वाराणसी। काशी के इस बैंक में है 19 अरब राम नाम की पूंजी, हर मन्नत पूरी होने की है मान्यता आज पूरे देश में भगवाम राम के जन्मोत्सव रामनवमी के पावन पर्व की धूम है। देशभर में स्थित राम मंदिरों में प्रभु राम के दर्शन को भक्तों की भीड़ उमड़ रही है, लेकिन आज हम आपको इस खास उत्सव पर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में स्थित भगवान राम के नाम पर एक स्थित एक अनूठे बैंक के बारे में बताएंगे। जहां ज़हां की कार्य प्रणाली तो बिलकुल किसी साधारण बैंक की ही तरह है लेकिन यहाँ पैसे की ज़गह जमा राम का नाम जमा होता है। देश-विदेश से लोग यहां राम का नाम जमा करने आते है। तो आइए जानते है वाराणसी में कहां स्थित है ये मंदिर।

वाराणसी में यहां स्थित है बैंक

राम नाम का यह बैंक दशाश्वमेध क्षेत्र के विश्वनाथ गली त्रिपुरा भैरवी में स्थित है, जिसका नाम राम रमापति बैंक है। यहां सारा लेन देन भगवान राम के नाम पर ही होता है। धर्मं और आध्यात्म मैं आस्था रखने वाले इस बैंक के ग्राहक बनकर पुण्य कमाते हैं। यहाँ कर्ज उन्ही भक्तों को दिया जाता है जो की अति दुखी ,दीन ,अभिमान रहित होकर श्री राम लला जी के शरण में आते है।



सन् 1927 में हुई थी बैंक की स्थापना

इस बैंक की शुरुआत सन 1927 में की गयी थी उस वक्त इस बैंक में केवल दो ही खातेदार थे लेकिन आज यहाँ पूरे देश में लाखों की संख्या से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं यहाँ आने वाले लोगों का विश्वास है कि यहाँ से जुड़ने के बाद उनके साथ सब कुछ अच्छा ही होता है और मन वांछित फल भी प्राप्त होता है।

अपने दुखों को दूर करने के लिए कोई भी राम नाम का कर्ज ले सकता है

यहाँ ज़मा राम का नाम और इसे ज़मा करने का उद्येश्य भी वही लाभ कमाना हैं, लेकिन यहाँ आर्थिक नहीं आध्यात्मिक लाभ होता है। वो भी कई गुना ज्यादा। इस बैंक में स्त्री हो या फिर पुरुष सभी लाभ उठाते है। किसी भी दिन में 12 बजे से शाम 4 बजे तक इस बैंक में कोई भी आकर अपने दुखों को दूर करने के लिए राम नाम का कर्ज ले सकता है और मन वांछित फल भी पाने के लिए यहाँ से कर्ज ले सकता है।



दीन दुखियों की सेवा के लिए बनाया गया था बैंक

राम रमापति बैंक के संस्थापक सुमित मल्होत्रा ने बताया कि संवत 1983 में श्री 108 स्वामिनाथ जी के शिष्य श्री बाबा सत् राम दास जी के द्वारा दीन दुखियों की सेवा करने के लिए किया गया था। अब तक इस बैंक का 84 वर्षगांठ भी मनाई जा चुकी है। हर वर्ष की चैत्र मॉस की रामनवमी को यहाँ वर्षिकोत्सव मनाया जाता है और इसी दिन लाखों भक्तो के द्वारा हस्त लिखित राम नामों को प्रदर्शित किया जाता है।

ये है मान्यता

मान्यता ये भी है की एक श्री राम नाम की परिक्रमा के प्रताप से गणेश भगवान तीनों लोक में प्रथम पूज्य हो गए थे तो यहाँ मौजदू 19 अरब 1 करोड़ से अधिक राम नाम की परिक्रमा से कितना पुण्य मिलेगा। चैत्र मॉस की रामनवमी को हर साल राम नाम की परिक्रमा करने वालो की भीड़ हर साल आती है और ये परिक्रमा पूरे दस दिन तक चलता रहता है।

ये है कर्ज लेने का नियम

उन्होंने बताया कि सिर्फ अपने देश के भक्त यहां नहीं, बल्कि सात समन्दर पार से भी इस बैंक से जुड़े लोग है जो की पत्राचार और फोन के द्वारा राम नाम का कर्ज लेते है। यही नहीं एक बार जो यहा आ जाता है वो क्रमश : अपने पूरे परिवार को इस बैंक का सदस्य बनाता चला जाता है। साथ ही इस बैंक के कुछ सख्त नियम भी है यहां सवा लाख राम नाम लिखने के लिए आठ माह का वक्त दिया जाता है और इस अवधि में पूर्ण शुद्धता का भी ध्यान देना परम आवश्यक है।

इस दौरान राम नाम का कर्ज लेने वाले को प्याज ,लहसुन ,मांस मदिरा सहित तामसी भोजन से दूर रहना होगा। एक इन्सान को केवल चार बार यहाँ से राम नाम कजा कर्ज मिलता है। अपने मन की शांति के लिए और भगवान् राम की भक्ति के लिए भक्त बाकायदा लिखा पड़ी के साथ राम नाम का कर्ज यहाँ जमाकर भक्ति आ संचय करते है।

अबतक 19 अरब से ऊपर हो चुका है राम नाम का संग्रह

अब तक यहाँ राम नाम का संग्रहों की संख्या 19 अरब से ऊपर हो चुकी है। इस बैंक में 8 महीने 10 दिन का कर्ज भगवान राम के नाम पर मिलता है जिसे सवा लाख बार राम नाम लिख कर चुकता किया जाता है। ये राम नाम बाकायदा सफ़ेद कागज पर लाल रंग से लिखा जाता है है यही नहीं इस बैंक से स्याही,पेन ,दवात और कागज सब मिलता है। बैंक से मिलने वाले पार्थना पत्र ही भक्त को कर्ज लेने से पहले अपना उद्देश्य लेने का यानि की मनोरथ को लिख ही देना पड़ता है।

इस तरह खुलता है खाता

बैंक में खाता खोलने के लिए फार्म भरा जाता है। इस फार्म पर नाम, पता दर्ज करने के साथ ही भक्तों को अपनी मनोकामना भी लिखनी होती है। बैंक की तरफ से कागज, कलम और दवात मिलता है जिस पर रामनाम लिखना होता है। ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे से सात बजे तक लिखने का समय होता है। पूरे वर्ष राम नाम को लिखकर रामनवमी के दिन यहां पर जमा करना होता है और राम नाम के इस कर्ज के बदले इसको चुकाने के बाद बदले में पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

Ankita Yaduvanshi

Ankita Yaduvanshi

Next Story