वाराणसी। आज पूरी काशी नगरी रंगभरी एकादशी की शाम अनूठे रंगोत्सव की साक्षी बनी। डमरू की नाद और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ बाबा विश्वनाथ बुधवार की शाम माता गौरा का गौना कराकर विश्वनाथ धाम लौटे। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास से तय समय पर बाबा की पालकी उठी। इस दौरान बाबा की एक झलक पाने को भक्तों ललायित दिखे, चारों ओर हर-हर महादेव का जयघोष हो रहा था। शिवभक्त बाबा की अगवानी में काशी की गलियों में गुलाल की होली खेली। इसी के साथ भोले की नगरी में होली उत्सव की शुरुआत हो गयी है।



उधर,टेढ़ीनीम स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ कुलपति तिवारी के आवास पर माता के विदाई के तैयारियों के साथ ब्रह्म मुहूर्त में बाबा के साथ माता गौरा की चल पंचबदन रजत प्रतिमा का पंचगव्य तथा पंचामृत स्नान के बाद दुग्धाभिषेक किया गया। दुग्धाभिषेक पं. वाचस्पति तिवारी और संजीव रत्न मिश्र ने किया। सुबह पांच से साढ़े आठ बजे तक 11 वैदिक ब्रह्मणों ने षोडशोपचार पूजन के बाद फलाहार का भोग लगाकर महाआरती की। फिर दस बजे चल प्रतिमाओं का राजसी श्रृंगार एवं पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे भोग आरती के बाद के बाबा का दर्शन शुरू हो गया।

काशी में मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ गौना के नेग में काशीवासियों को होली खेलने और हुड़दंग की अनुमति देते है। बाबा के गौना उत्सव में काशीवासी सबसे पहले अपने आराध्य बाबा भोले और मां पार्वती के साथ अबीर गुलाल की होली खेलते है। इस बार बाबा के भाल पर अयोध्या से और मथुरा के जेल में कैदियों द्वारा तैयार की गई खास अबीर-गुलाल लगाया गया।

Ankita Yaduvanshi

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