Jagannath Ratha Yatra 2023 : कल से विश्व प्रसिद्ध उड़ीसा के भगवान जगन्नाथ पुरी (Jagannath Ratha Yatra 2023) की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की शुरूआत होने वाली है। यब यात्रा आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरु होती है, जिसका समापन एकादशी पर होता है। इस यात्रा में देश- विदेश से शामिल होने के लिए श्रद्धालु पहुंचते है। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा तीनों अलग-अलग रथ में सवार होकर यात्रा निकाली जाती है। तीनों रथों को भारी भीड़ द्वारा ढोल, नगाड़ों, तुरही और शंखध्वनि के साथ को खींचा जाता हैं। आइए आज हम आपको भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी कुछ की खास बातें बताएंगे जिन्हें आप शायद ही जानते हो।

Jagannath Ratha Yatra 2023 : जगन्नाथ पुरी रथयात्रा से जुड़ी खास बातें

  • हर साल भगवान जगन्नाथ समेत बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं नीम की लकड़ी से ही बनाई जाती है। इन रथों में रंगों की भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
  • भगवान जगन्नाथ (Jagannath Ratha Yatra 2023) के रथ में एक भी कील का प्रयोग नहीं होता। यह रथ पूरी तरह से लकड़ी से बनाया जाता है, यहां तक की कोई धातु भी रथ में नहीं लगाया जाता है। रथ की लकड़ी का चयन बसंत पंचमी के दिन और रथ ब नाने की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन से होती है।
  • भगवान जगन्नाथ का रंग सांवला होने के कारण नीम की उसी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता जो सांवले रंग की हो। वहीं उनके भाई-बहन का रंग गोरा होने के कारण उनकी मूर्तियों को हल्के रंग की नीम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।
  • पुरी के भगवान जगन्नाथ के रथ में कुल 16 पहिये होते हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ लाल और पीले रंग का होता है और ये रथ अन्य दो रथों से थोड़ा बड़ा भी होता है। भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे पीछे चलता है पहले बलभद्र फिर सुभद्रा का रथ होता है।
  • भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहते है,बलराम के रथ का नाम ताल ध्वज और सुभद्रा के रथ का नाम दर्पदलन रथ होता है। भगवान को ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन जिस कुंए के पानी से स्नान कराया जाता है वह पूरे साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है।
  • भगवान जगन्नाथ को हमेशा स्नान में 108 घड़ों में पानी से स्नान कराया जाता है। हर साल आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को नए बनाए हुए रथ में यात्रा में भगवान जगन्नाथ,बलभद्र और सुभद्रा जी नगर का भ्रमण करते हुए जगन्नाथ मंदिर से जनकपुर के गुंडीचा मंदिर पहुंचते हैं।
  • गुंडीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है। यहां पहुंचकर विधि-विधान से तीनों मूर्तियों को उतारा जाता है। फिर मौसी के घर स्थापित कर दिया जाता है।
Ankita Yaduvanshi

Ankita Yaduvanshi

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