वाराणसी। सनातन हिन्दू धर्म में प्रत्येक माह की तिथियों का अपना विशेष महत्व है। भारतीय समातन धर्म के अनुसार हिंदू पंचांग में एकादशी तिथि अपने आप में अनूठी मानी गई है। हिंदू धर्मग्रंथोंमें हर माह की एकादशी तिथि भगवान श्रीविष्णुहरि को समर्पित है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि हरिशयनी या पद्मा एकादशी तिथि के रूप में मनाने की धार्मिक परम्परा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवता सो जाते हैं। जिसे देवशयनी एकादशी या हरिशयनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन से भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में प्रस्थान कर शेषनाग की शैय्या पर योग निद्रा में लीन होकर विश्राम करते हैं। इसके साथ ही समस्त मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। इस तिथि को व्रत व उपवास रख कर भगवान श्रीविष्णु की पूजा-अर्चना करने की विशेष महिमा है। इस दिन घर में तुलसी का पौधा लगाने से यमदूत का भय खत्म हो जाता है। प्रसिद्ध ज्योतिषविद् पं. विमल जैन ने बताया कि इस बार हरिशयनी या देवशयनी एकादशी तिथि 29 जून गुरुवार को पड़ रही है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 28 जून बुधवार की अर्धरात्रि के पश्चात 3.19 मिनट पर लगेगी जो कि 29 जून गुरुवार को अर्धरात्रि के पश्चात 2.43 मिनट तक रहेगी। हरिशयनी एकादशी का व्रत 29 जून गुरुवार को रखा जायेगा।

23 नवंबर तक होगा चातुर्मास्य

हरिशयनी एकादशी से चातुर्मास्य के यम-नियम व व्रत प्रारंभ हो जायेंगे जो कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की देव प्रबोधिनी एकादशी 23 नवम्बर गुरुवार तक रहेंगे। चातुर्मास्य की अवधि चार मास की होती है। इस बार श्रावण मास (अधिक मास) दो माह का होने से चातुर्मास्य की अवधि पांच माह की हो गई है। इन पांच माह में समस्त मांगलिक कार्यों पर विराम लग जायेगा। जबकि धार्मिक अनुष्ठान विधि विधानपूर्वक परम्परा के अनुसार सम्पन्न होते रहेंगे।

स्वच्छ परिधान धारण कर व्रत का लें संकल्प

हरिशयनी एकादशी व्रत का संकल्प अपने दैनिक नित्य कृत्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ परिधान धारण करके लेना चाहिए। व्रत का संकल्प दशमी तिथि या एकादशी तिथि के दिन प्रात:काल लिया जाता है। हरिशयनी एकादशी पर व्रत व उपवास रख कर भगवान श्रीहरि विष्णु की पंचोपचार, दशोपचार या षोडसोपचार पूजा-अर्चना करके भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त की जाती है। पूजा अर्चना के पश्चात अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करने का महत्व है। इसके अन्तर्गत स्वर्ण, रजत, नूतन वस्त्र, ऋतुफल, मेवा-मिष्ठान्न व नगद द्रव्यआदि सुपात्र ब्राह्मणों को दान करना शुभफलदायी माना गया है। भगवान श्रीहरि विष्णु की विशेष अनुकंपा प्राप्ति व उनकी प्रसन्नता के लिए एकादशी तिथि की रात्रि में मौन रह कर रात्रि जागरण करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु से संबंधित मंत्र ऊ नमो नारायण या ऊं नमोभगवते वासुदेवाय मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए। इससे जीवन में सुख समृद्धि, आरोग्य व सौभाग्य में अभिवृद्धि बनी रहती है।

बनारसी नारद

बनारसी नारद

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