Buddha Purnima 2023 : वैशाख माह की पूर्णिमा यानी 5 मई को बुद्ध जयंती मनाई जा रही है। महात्मा बुद्ध को भगवान विष्‍णु का नौवां अवतार माना जाता है। वहीं इतिहासकार मानते हैं कि गौतम बुद्ध का जन्‍म 563-483 ई.पू. के मध्य में लुम्बिनी में हुआ था जो कि वर्तमान में नेपाल का हिस्‍सा है। 528 ईसा पूर्व वैशाख माह की पूर्णिमा को ही बोधगया में एक वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। माना जाता है कि महात्मा बुद्ध ने बुध पूर्णिमा के दिन ही 80 वर्ष की उम्र में कुशीनगर में देह का त्याग किया था। लगभग 2500 वर्ष पहले बुद्ध के देह त्यागने पर उनके शरीर के अवशेष (अस्थियां) आठ भागों में विभाजित हुए। जिन पर आठ स्थानों पर 8 स्तूप बनाए गए। 1 स्तूप उनकी राख और एक स्तूप उस घड़े पर बना था जिसमें अस्थियां रखी थीं। नेपाल में कपिलवस्तु के स्तूप में रखी अस्थियों के बारे में माना जाता है कि वह गौतमबुद्ध की हैं। इसके अलावा उनके जीवन से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण जगहें और भी हैं। आइए आज इन जगहों के बारे में जानते है...

1. लुम्बिनी

उत्तर प्रदेश के ककराहा गांव से 14 मील और नेपाल-भारत सीमा से कुछ दूर पर बना रुमिनोदेई नामक गांव ही लुम्बिनी है, जो गौतम बुद्ध के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध है।

2. बोधगया

यह स्थान बिहार के प्रमुख हिंदू पितृ तीर्थ -'गया-' में स्थित है। गया एक जिला है। इसी स्थान पर बुद्ध ने एक वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया।

3. सारनाथ

यह जगह उत्तरप्रदेश के वाराणसी के पास स्थित है, जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश दिया था। यहीं से उन्होंने धम्मचक्र प्रवर्तन प्रारंभ किया था।

4. कुशीनगर

उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले में स्थित इसी जगह पर महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण (मोक्ष) हुआ था। गोरखपुर जिले में कसिया नामक जगह ही प्राचीन कुशीनगर है। यहां पर बुद्ध के आठ स्तूपों में से एक स्तूप बना है, जहां बुद्ध की अस्थियां रखी थीं।

5. श्रावस्ती का स्तूप

बहराइच से 15 किमी दूर सहेठ-महेठ नामक गांव ही प्राचीन श्रावस्ती है। बुद्ध लंबे समय तक श्रावस्ती में रहे। कहा जाता है कि इस स्थान पर 27 सालों तक भगवान बुद्ध रहे थे। यहां भगवान बुद्ध ने नास्तिकों को सही दिशा दिखाने के लिए कई चमत्कार किए। इन चमत्कारों में बुद्ध ने अपने कई रूपों के दर्शन करवाए। अब यहां बौद्ध धर्मशाला है तथा बौद्ध मठ और भगवान बुद्ध का मंदिर भी है।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है। इस दिन लोग व्रत-उपवास करते हैं। बौद्ध धर्म के लोग इस दिन को उत्‍सव के रूप में मनाते हैं। उनके धार्मिक स्‍थलों पर सभी लोग एकत्र होगर सामूहिक उपासना करते हैं और दान देते हैं। बौद्ध और हिंदू धर्म के लोग बुद्ध पूर्णिमा को बहुत श्रद्धा के साथ मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध के आदर्शों और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह पर्व सभी को शांति का संदेश देता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन बोधगया जाकर पूजापाठ करते हैं। लोग बोधिवृक्ष की पूजा करते हैं। बोधिवृक्ष पीपल का पेड़ होता है और इस दिन इसकी पूजा करने का विशेष धार्मिक महत्‍व माना गया है। वृक्ष पर दूध और इत्र मिला हुआ जल चढ़ाया जाता है। सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ पर जलाया जाता है।

Ankita Yaduvanshi

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