84 Kosi Parikrama Marg Ayodhya : 84 कोसी परिक्रम से ये होते हैं फायदे, अयोध्या में श्रीराम से मिलता है ये खास वरदान
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हिंदू धर्म में अयोध्या की विश्व प्रसिद्ध 84 कोसी की परिक्रमा का विशेष महत्व है। ये परिक्रमा सदियों पुरानी है, जिसमें श्रद्धालु भगवान श्रीराम के राज्य के चौरासी कोस का भ्रमण करते हैं। माना जाता है कि भगवान श्रीराम की अयोध्या से चौरासी कोस का इलाका भी अयोध्या धाम में ही है। संत महात्माओं का कहना है कि सनातन धर्म में 84 लाख योनियां होती हैं और देवी देवता भी 84 कोटि होते हैं। इसलिए 84 कोसी परिक्रमा करने से मनुष्य को 84 लाख योनियों में भटकने से मुक्ति मिलने के साथ ही पुण्यफल की प्राप्ति होती है। आइए जानते है कि ये परिक्रमा कब से शुरु हुई और इसके महत्व के बारे में...
बता दें कि, अयोध्या में तीन परिक्रमाएं हैं। पहला 5 कोस जो करीब 15 किमी की है, दूसरा 14 कोस जो करीब 42 किमी की है और 84 कोस जो करीब 275 किमी की है। ये सभी भगवान राम से जुड़ी हुई परिक्रमाएं हैं। चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग पांच जिलों में 275.35 किमी तक फैला हुआ है। इसमें अयोध्या, आंबेडकर नगर, बाराबंकी, बस्ती और गोंडा सहित पांच जिले शामिल हैं।
84 कोस की परिक्रमा उन सभी महत्वपूर्ण स्थानों से होकर गुजरती है, जो भगवान राम के राज्य से जुड़े हुए हैं. यानी यह अवध क्षेत्र की परिक्रमा कहलाती है. यह परिक्रमा 24 दिन तक चलती है। 84 कोस की परिक्रमा, मनुष्य को 84 योनियों से मुक्ति दिलाती है। मान्यता है कि इसकी शुरुआत त्रेतायुग में हुई थी. यानी आज से तकरीबन लाखों साल से अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा चलती आ रही है।
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, राजा दशरथ ने देवताओं से पुत्र प्राप्ति के लिए अयोध्या से लगभग 20 किमी दूर मनोरमा नदी के तट पर पुत्रयष्ठी यज्ञ किया था. इसके बाद उन्हें अपनी तीन पत्नियों से चार पुत्रों का वरदान मिला। 84 कोस परिक्रमा उसी स्थान से शुरू होती है, जहां यज्ञ किया गया था. उस स्थान को अब बस्ती में मखौरा के रूप में पहचाना जाता है।
पुत्र यज्ञ के लिए दशरथ जी ने करीब 22 दिनों में पैदल ही यात्रा पूरी की थी। इसमें करीब 25 पड़ाव के साथ विश्राम के लिए कई जगहे हैं. दो छोटी परिक्रमा हर साल हजारों भक्तों द्वारा पूरी की जाती हैं, लेकिन 84 कोस परिक्रमा 100-150 से अधिक लोगों द्वारा नहीं की जाती है।
84 कोस परिक्रमा कार्तिक माह में की जाती है। परिक्रमा करने वाले भक्त दिन में केवल एक बार अनाज ग्रहण कर सकते हैं और बाकी समय फल खाते हैं. परिक्रमा का पहला पड़ाव बस्ती के रामरेखा मंदिर होता है। इसके बाद अगला दो बड़ाव बस्ती के दुबौलिया ब्लॉक के हनुमानबाग और अयोध्या में श्रृंग ऋषि आश्रम है।
भाजपा सरकार ने साल 2021 में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग 227 बी घोषित कर दिया था। अयोध्या में करीब 80 किमी रिंग रोड और 275.35 किमी चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग नेशनल हाइवे बनाया जा रहा है। विकास कार्य पूरा होने के बाद पर्यटक अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा फोरलेन मार्ग से कर सकेंगे।
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