वाराणसी। कमिश्नरेट पुलिस ने सोमवार की शाम चौबेपुर इलाके में एक 'मृत' व्यक्ति को कोर्ट के वारंट पर छेड़खानी और हरिजन एक्ट में जेल भेज दिया। यह व्यक्ति 10 से…
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वाराणसी। कमिश्नरेट पुलिस ने सोमवार की शाम चौबेपुर इलाके में एक 'मृत' व्यक्ति को कोर्ट के वारंट पर छेड़खानी और हरिजन एक्ट में जेल भेज दिया। यह व्यक्ति 10 से अधिक से सरकारी रिकार्ड में मृत है और अपने जिन्दा होने की लड़ाई लड़ रहा है। चौबेपुर के संतोष मूरत सिंह प्रदेश और दिल्ली में 'मै ज़िंदा हूं' के नाम से फेमस हैं। फिलहाल इस कार्रवाई के बाद संतोष सहित सभी के दिमाग में यह बात कौंधने लगी है कि क्या अब संतोष वकाई सरकारी रिकार्ड में जिन्दा हो पायेगा और उसे उसकी संपत्ति जो उसे मृत कर बेच दी गयी हासिल हो पाएगी ?
सबसे अजीबोगरीब परिस्थितियों की कल्पना करें, जिसमें एक इंसान को आधिकारिक सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया जाता है और अधिकारियों को अपने अस्तित्व के बारे में समझाने के उसके अथक प्रयासों के बावजूद, अंततः उसको गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है। ऐसी ही एक अविश्वसनीय और अजूबी घटना घटी है, जिसमें वाराणसी कमिश्नरेट की चौबेपुर पुलिस ने एक ऐसे शख्स को हिरासत में लिया, जो कई सालों से सरकारी रिकॉर्ड में मृतक बताया जा रहा है।
बतादें कि छितौनी गांव निवासी संतोष मूरत सिंह जो कई वर्षों से मैं जिंदा हूं का बोर्ड गले में टांगें अपने जिंदा होने का प्रमाण मांगता है। बताया कि 2000 में आंच फिल्म की शूटिंग करने आये अभिनेता नाना पाटेकर के साथ वह मुम्बई चला गया और उनका बावर्ची बन गया। तीन साल तक मुंबई में रहा। इसी बीच पट्टीदारों ने यह साबित कर दिया कि मैं लापता हो गया हूं और मेरी मृत्यु ट्रेन ब्लास्ट में हो गई। तब से लेकर आज तक संतोष खुद को जिंदा बताने की कोशिश कर रहा है । न्याय के दर-दर भटके संतोष ने कई वर्षों तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया, अनशन किया यहां तक की राष्ट्रपति से लेकर सभी चुनाव के लिए भी आवेदन किया लेकिन सरकार दस्तावेजों में वह जिन्दा नहीं हो पाया।
साल 2016 में उसने एक बार फिर बनारस का रुख किया और यहाँ प्रधानमंत्री संसदीय क्षेत्र कार्यालय पर एप्लिकेशन दी पर समस्या का समाधान नहीं हुआ। इसके बाद वह जिला मुख्यालय पर न्याय के लिए धरना देने लगा। इसी बीच 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी वाराणसी सुरेंद्र सिंह ने सतोष की फ़रियाद पर उसकी ज़मीन की नापी करवाई थी और दस्तावेजों में अंकित भी करवाया था पर उस समय भी संतोष खुद को ज़िंदा नहीं साबित कर सके थे।
जब शहर में वीआईपी मूवमेंट होता है तब पुलिस उसे थाने बुला लेती है। सोमवार को न्यायालय के वारंट पर चौबेपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।पुलिस के अनुसार इसके ऊपर सन् 2019 में मारपीट, छेड़छाड़,जान मारने की धमकी ,एसटीएससी के तहत मामला न्यायालय में विचाराधीन है।उस मामले में न्यायालय से वारंट था।इसी तरह न्यायालय में उपस्थित न होने पर ओमप्रकाश राजभर निवासी गौरडीह,शेखर राजभर निवासी गौरडीह को भी न्यायालय के वारंट पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
इस मामले ने कई सवाल खड़े किए हैं कि आधिकारिक रूप से मृत व्यक्ति के खिलाफ अदालत किस तरह की सुनवाई करेगी। क्या अदालत उसे फैसला सुनाने के लिए संतोष को जीवित घोषित कर देगी, या संतोष सलाखों के पीछे मृत घोषित किंतु जीवित इंसान बनकर रह जाएगा? संतोष के लिए यह एक विचित्र और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, जहां उसे अब अपनी बेगुनाही और अपने अस्तित्व दोनों को साबित करने के लिए एक कठिन लड़ाई लड़नी है।
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