कहा- भारत सरकार को बैंकों के जमाकर्ताओं को भरोसा दिलाने की जरूरत

नई दिल्ली, 16 मार्च (हि.स.)। अमेरिका में सिल्वरगेट, सिग्नेचर और सिलिकॉन वैली बैंकों के डूबने की वजह से दुनियाभर के वित्तीय बाजारों में कोहराम मचा हुआ है। लेकिन, भारत के बैंकों पर इसका कोई असर नहीं हो सकता। क्योंकि, यहां भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की निगरानी और बैंकों द्वारा सही निवेश के कारण उनकी स्थिति मजबूत है। इसके बावजूद सरकार को खाता धारकों का भरोसा जीतने की जरूरत है।

वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में गुरुवार को यह बात कही। राणा ने कहा कि दो अमेरिकी बैंकों के डूब जाने के बाद दुनियाभर में जहां हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, स्विट्जरलैंड के क्रेडिट सुइस बैंक पर भी खतरा मंडरा रहा है। इसके बावजूद भारतीय बैंकों पर इसका असर नहीं पड़ने वाला है। इसकी सबसे बड़ी वजह आरबीआई की निगरानी और बैंकों द्वारा सही निवेश के कारण उनकी स्थिति मजबूत है।

इसका असर एक ओर पूरी दुनिया के शेयर बाजारों पर हो रहा है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि दुनिया के अधिकांश शेयर बाजार दबाव में हैं। इसकी वजह शेयर बाजार बहुत कुछ सेंटीमेंट पर निर्भर करते हैं। लेकिन, भारत के बैंकों पर इसका कोई असर नहीं हो सकता। क्योंकि भारतीय बैंक आरबीआई की निगरानी और बैंकों के सही निवेश की वजह से मजबूत स्थिति में हैं।

उन्होंने आगे कहा कि विश्व में हो रही घटनाओं के कारण देश के बैंकों के खाताधारकों को किसी तरह की घबराहट, डर या दबाव में नहीं आना चाहिए। इसके लिए सरकार को खाता धारकों को भरोसा दिलाने की जरूरत है। इसके साथ ही बैंकों द्वारा पांच लाख रुपये तक की जमा पर गारंटी की सुविधा को बढ़ाये जाने या एक डिपॉजिट बीमा योजना शुरू करने की बात कही, ताकि जमाकर्ता अपनी जमा राशि की बीमा पॉलिसी लेकर अपनी जमा-पूंजी को सुरक्षित महसूस कर सकें। उन्होंने कहा कि वॉयस ऑफ बैंकिंग ने इस तरह की डिपॉजिट बीमा योजना का सुझाव वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट के समय भेजा था, जो समय की मांग है।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश शंकर

Updated On 22 March 2023 12:00 PM GMT
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